China Famous Shaolin Temple: चीन का शाओलिन मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है, खासकर अपने मार्शल आर्ट्स (कुंग फू) और बौद्ध धर्म को लेकर। यह मंदिर ना केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। शाओलिन मंदिर हेनान प्रांत के डेंगफेंग शहर में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है और इसका संबंध बौद्ध धर्म के विकास से है। अब इस मंदिर को लेकर विवाद भी सामने आया है। चलिए आपको बताते हैं कि शाओलिन टेंपल से जुड़ा विवाद क्या है और यहां के प्रमुख मठाधीश शी योंगजीन कर किस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं।
शाओलिन मंदिर के मठाधीश पर लगे गंभीर आरोप
शाओलिन मंदिर के प्रमुख मठाधीश पर गबन और यौन दुराचार के आरोप लगे है। टेंपल के प्रमुख पर लगे गंभीर आरोप के बाद अब इसकी जांच भी शुरू हो गई है। सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ ने मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी नोटिस के हवाले से बताया कि हेनान प्रांत में शाओलिन मंदिर के मठाधीश शी योंगजीन पर आपराधिक गड़बड़ियों का संदेह है, जिनमें परियोजना निधि और मंदिर की संपत्ति का गबन और दुरुपयोग शामिल है।
मठाधीश ने महिलाओं से बनाए संबंध
‘चाइना डेली’ की खबर में कहा गया है कि मठाधीश ने लंबे समय तक कई महिलाओं के साथ अनैतिक संबंध बनाए हैं और नाजायज बच्चों को जन्म देकर बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन किया है। मठाधीश को लेकर इस तरह की बातें सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। यह मंदिर 495 ईस्वी में स्थापित किया गया था। यह चान बौद्ध धर्म, जिसे जेन भी कहते हैं, और महायान बौद्ध धर्म से जुड़ा है। अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अलावा, यह मार्शल आर्ट के प्रशिक्षण का एक प्रसिद्ध केंद्र है, जिसके प्रति दुनिया भर से छात्र आकर्षित होते हैं। यह मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
शी योंगजीन 1999 से हैं मठाधीश
शाओलिन मंदिर के प्रमुख शी योंगजीन 1999 से शाओलिन के मठाधीश हैं। इन्हीं के नेतृत्व में मंदिर ने चीन के बाहर स्कूल खोलने शुरू किए और भिक्षुओं का एक भ्रमणशील दल बनाया जो शाओलिन कुंग फू शो करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2015 में महिलाओं के साथ यौन संबंध रखने और मंदिर के धन का गबन करने के आरोप में भी शी की जांच की गई थी लेकिन तब उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।

शी योंगजीन कौन हैं?
शी योंगजीन का जन्म 1965 में हुआ था और वो 1981 में शाओलिन मंदिर से जुड़े। उन्होंने 1999 में मंदिर के प्रमुख का पद संभाला। वो परंपरागत बौद्ध भिक्षु हैं लेकिन साथ ही साथ उन्होंने आधुनिक प्रबंधन और तकनीक को मंदिर में अपनाकर इसे एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बना दिया है। उन्हें "CEO Monk" यानी "सीईओ भिक्षु" भी कहा जाता है।
उठ रहे हैं सवाल
वैसे यहां यह भी बता दें कि, शाओलिन मंदिर के संबंध में इस तरह की चर्चा भी शुरू हो गई हैं कि क्या यह अब भी एक धार्मिक स्थल के रूप में संरक्षित है, या फिर इसे एक व्यावसायिक स्थल के रूप में बदल दिया गया है। शाओलिन मंदिर के भिक्षु एक समय में महज बौद्ध साधक हुआ करते थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों में शाओलिन मंदिर को एक वाणिज्यिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। यहां बड़े पैमाने पर मार्शल आर्ट्स स्कूल चलते हैं, और हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं। शाओलिन मंदिर को लेकर लोग अब इस तरह के सवाल भी करते हैं कि क्या मंदिर का मूल उद्देश्य अब भी आध्यात्मिक है या फिर यह सिर्फ एक व्यावसायिक गतिविधि का केंद्र बन चुका है।
उद्देश्य से भटक गया है शाओलिन मंदिर
मौजूदा वक्त की बात करें तो शाओलिन मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर हैं। इन सेंटरों में प्रशिक्षण लेने के लिए छात्रों को बड़ी रकम अदा करनी पड़ती है। यह मंदिर के पारंपरिक उद्देश्य से मेल नहीं खाता, और यह विवाद का कारण बनता है। कुछ लोग मानते हैं कि शाओलिन मंदिर को अब एक धार्मिक स्थल से ज्यादा एक व्यवसाय में बदल दिया गया है। यह भी कहा जाता है कि मार्शल आर्ट्स के साथ-साथ मंदिर की आध्यात्मिकता को कम कर दिया गया है, जिससे शाओलिन के असली उद्देश्य से भटकाव हो गया है।
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