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Coronavirus Treatment: अच्छी खबर! फेफड़ों में होने वाले जानलेवा नुकसान को रोकने के लिए संभावित इलाज की पहचान

अनुसंधानकर्ता ने विस्तार से अध्ययन किया कि कैसे सूजन वाली कोशिकाओं के मृत होने के संदेश प्रसारित होते हैं जिसके आधार पर उन्होंने इसे बाधित करने की पद्धति का अध्ययन किया।

Written by: Bhasha
Published : Nov 21, 2020 10:37 am IST, Updated : Nov 21, 2020 10:38 am IST
coronavirus treatment for inflammation lung damage and organ failure identified । Coronavirus Treatm- India TV Hindi
Image Source : PTI Coronavirus Treatment: अच्छी खबर! फेफड़ों में होने वाले जानलेवा नुकसान को रोकने के लिए संभावित इलाज की पहचान (Representational Image)

वाशिंगटन. भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर ने कोरोना मरीजों के फेफड़ों में होने वाली प्राणघातक क्षति और अंगों के बेकार होने से रोकने के लिए संभावित रणनीति अथवा इलाज पद्धति की खोज की है। भारत में जन्मीं और टेनेसी की सेंट ज्यूड चिल्ड्रेन रिसर्च हॉस्पिटल में बतौर अनुसंधानकर्ता तैनात डॉ.तिरुमला देवी कन्नेगांती का इससे संबंधित अनुंसधान जर्नल ‘सेल’ के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है। इसमें उन्होंने चूहों पर अध्ययन के दौरान पाया कि कोविड-19 होने की स्थिति में कोशिकाओं में सूजन की वजह से अंगों के बेकार होने का संबंध ‘हाइपरइनफ्लेमेटरी’ प्रतिरोध है जिससे अंतत: मौत होती है और इस स्थिति से बचाने वाली संभावित दवाओं की उन्होंने पहचान की।

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अनुसंधानकर्ता ने विस्तार से अध्ययन किया कि कैसे सूजन वाली कोशिकाओं के मृत होने के संदेश प्रसारित होते हैं जिसके आधार पर उन्होंने इसे बाधित करने की पद्धति का अध्ययन किया। सेंट ज्यूड अस्पताल में प्रतिरोध विज्ञान विभाग की उपाध्यक्ष डॉ. केन्नागांती ने कहा, ‘‘इस के कार्य करने के तरीके और सूजन पैदा करने के कारणों की जानकारी बेहतर इलाज पद्धति विकसित करने में अहम है।’’

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उल्लेखनीय है कि केन्नागांती का जन्म और पालन पोषण तेलंगाना में हुआ है। उन्होंने वारंगल के काकतिय विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र, जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने परास्नातक और पीएचडी की उपाधि भारत के उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वर्ष 2007 में डॉ. केन्नागाती टेनेसी राज्य की मेमफिस स्थित सेंट ज्यूड अस्पताल से जुड़ी।

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उन्होंने कहा, ‘‘ इस अनुसंधान से हमारी समझ बढ़ेगी। हमने उस खास ‘साइटोकींस’ (कोशिका में मौजूद छोटा प्रोटीन जिससे संप्रेषण् होता है) की पहचान की है जो कोशिका में सूजन उत्पन्न कर अंतत: उसे मौत के रास्ते पर ले जाता है। इस खोज से कोविड-19 और उच्च मृत्युदर वाली बीमारियों की संभावित इलाज खोजी जा सकती है।’’ इस अनुसंधान में श्रद्धा तुलाधर, पिरामल समीर, मिन झेंगे, बालामुरुगन सुंदरम, बालाजी भनोठ, आरके सुब्बाराव मलिरेड्डी आदि भी शामिल हैं। 

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