Thursday, April 25, 2024
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किसान आंदोलन: सोनीपत के डीएम बोले- सिंघू बार्डर पर बैठे किसानों का कराया जाएगा कोरोना टेस्ट

कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए सोनीपत जिला प्रशासन ने किसानों के कोविड टेस्ट कराने का फैसला किया है। सोनीपत के डीएम ने कहा है कि सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसानों का कोविड-19 टेस्ट करवाया जाएगा।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 03, 2020 9:38 IST
farmer protest coronavirus test sonepat dm order । किसान आंदोलन: सोनीपत के डीएम बोले- सिंघू बार्डर प- India TV Hindi
Image Source : PTI किसान आंदोलन: सोनीपत के डीएम बोले- सिंघू बार्डर पर बैठे किसानों का कराया जाएगा कोरोना टेस्ट

सोनीपत. विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार आठवें दिन जारी है। सिंघू बॉर्डर पर पंजाब और हरियाणा से आए बड़ी संख्या में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए सोनीपत जिला प्रशासन ने किसानों के कोविड टेस्ट कराने का फैसला किया है। सोनीपत के डीएम ने कहा है कि सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसानों का कोविड-19 टेस्ट करवाया जाएगा।

कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करें: किसानों ने सरकार से कहा

आंदोलन कर रहे किसानों ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र विरोध प्रदर्शन को पंजाब केंद्रित आंदोलन के तौर पर दिखाना चाहता है और किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि नए कानूनों के खिलाफ भविष्य के कदमों पर फैसला के लिए देश के दूसरे भागों के किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी किसान संयुक्त मोर्चा में शामिल होंगे। पाल ने कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधि बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक में केंद्रीय मंत्रियों को बिंदुवार अपनी आपत्ति से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए। हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।’’

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे। संवाददाता सम्मेलन के पहले करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर बैठक की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए। केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच मंगलवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही और आगे अब तीन दिसंबर को फिर से वार्ता होगी।

किसानों के संगठनों ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मांगें पूरी नहीं होने पर वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे। पाल ने बताया, ‘‘हमारी बैठक के बाद राकेश टिकैत जी को सरकार ने मंगलवार को बैठक के लिए बुलाया था। वह हमारे साथ हैं। यह पंजाब केंद्रित आदोलन नहीं है बल्कि समूचे देश के किसान इससे जुड़े हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमें केरल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिला है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती थी कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई वार्ता में शामिल हों। उन्होंने कहा, ‘‘योगेंद्र यादव जी ने हमसे कहा कि वार्ता की प्रक्रिया बंद नहीं होनी चाहिए। इसके बाद ही हम केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल हुए। मंगलवार को हुई बैठक में हम देश भर के किसानों के प्रतिनिधि के तौर पर गए। हमने किसान संगठनों में फूट डालने की साजिश नाकाम कर दी।’’ पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले एक सप्ताह से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं । बुधवार को प्रदर्शनकारियों की संख्या में और इजाफा हुआ। (भाषा)

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