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अलीगढ़ की वह मस्जिद जिसे होली से पहले काली तिरपाल से ढक दिया जाता है, जानिए क्या है वजह?

अलीगढ़ में कुछ साल पहले अपनाई गई प्रथा को ध्यान में रखते हुए एक मस्जिद को होली के त्योहार से पहले तिरपाल से ढक दिया गया है, ताकि यह उस उपद्रवी द्वारा रंग नहीं लगाया जा सके।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Mar 07, 2023 04:20 pm IST, Updated : Mar 07, 2023 04:55 pm IST
अलीगढ़ में मस्जिद को तिरपाल से ढका गया, Holi- India TV Hindi
Image Source : ANI अलीगढ़ में मस्जिद को तिरपाल से ढका गया

अलीगढ़: होली को प्यार, उमंग, सद्भाव और एकता का त्यौहार माना जाता है। कहा जाता है कि  होली पर सभी गिले-शिकवों को छोड़कर दुश्मनों को भी गले लगाना चाहिए। सभी खट्टी-मीठी बातों को भुलाकर रिश्तों में मिठास घोलानी चाहिए। होली पर अपना बचपन, जवानी और बुढ़ापा भुलाकर इसके रंगों में सराबोर हो जाना चाहिए। हालांकि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक मस्जिद ऐसी भी है जो रह-रहकर हमें यह बताती है कि यह सभी बातें ही हैं, असलियत कुछ और ही है।

अब्दुल करीम मस्जिद को रात में तिरपाल से ढक दिया जाता है

अलीगढ़ में कुछ साल पहले अपनाई गई प्रथा को ध्यान में रखते हुए एक मस्जिद को होली के त्योहार से पहले तिरपाल से ढक दिया गया है, ताकि यह उस उपद्रवी द्वारा रंग नहीं लगाया जा सके। पुलिस प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करता है। अलीगढ़ के सबसे संवेदनशील चौराहे 'हलवाईयां' की अब्दुल करीम मस्जिद को रात में तिरपाल से ढक दिया जाता है ताकि होली के दौरान उपद्रवी मस्जिद पर रंग न लगा दें। यह प्रथा पिछले कुछ वर्षों से चली आ रही है। प्रशासन के निर्देश पर मस्जिद को तिरपाल से ढक दिया जाता है ताकि कोई भी मस्जिद में रंग या गंदगी न फेंके।

अलीगढ़ में मस्जिद को तिरपाल से ढका गया, Holi

Image Source : ANI
अलीगढ़ में मस्जिद को तिरपाल से ढका गया

'अब होली में नहीं रहा गया पुराना रंग'

इस मस्जिद के हाजी मोहम्मद इकबाल, मुतवल्ली-मस्जिद हलवाइयां बताते हैं कि अब होली में वह रंग नहीं रह गया है। पहले लोग एक-दूसरे पर प्यार मोहब्बत में रंग डालते थे, गले लगाते थे, लेकिन अब इसका उल्टा हो रहा है। अब रंग तो डाला जाता है लेकिन वह प्यार-मोहब्बत में नहीं बल्कि एक-दूसरे को खिजाने के लिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार को रोकने के लिए पहल दोनों तरफ से होनी चाहिए। होली त्यौहार ही इसलिए मनाया जाता है कि लोग एक-दूसरे से गिले-शिकवे मिटाकर एक साथ हंसी-खुशी रहें।  

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