नई दिल्ली: देश में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए पिछले दो साल से लगातार काम कर रही रामायण रिसर्च काउंसिल ने बुधवार को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में संस्कृत भूषण सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देश के उन शिक्षाविदों, सांसदों और विधायकों को सम्मानित किया गया जो संस्कृत के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं।
संस्कृत के लिए काम करने वालों को मिलेगा प्रोत्साहन
काउंसिल के ट्रस्टी और रिटायर्ड आईएएस देव दत्त शर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम उन लोगों को प्रोत्साहित करेगा जो काउंसिल के बैनर तले संस्कृत के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इस मौके पर संस्कृत भाषा में ramayanvarta.com नाम की एक न्यूज़ वेबसाइट भी लॉन्च की गई। सम्मान देने वालों में महामंडलेश्वर स्वामी शिव प्रेमानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी जी महाराज, स्वामी योगी सत्यम जी महाराज और काउंसिल के सदस्य महामंडलेश्वर स्वामी चितप्रकाशानंद गिरी जी महाराज जैसे संत शामिल थे।
"संस्कृत एक असाधारण भाषा है"
शर्मा ने कहा कि संस्कृत एक असाधारण भाषा है, यह दुनिया की सभी भाषाओं की जननी है। इसलिए, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय संत स्वामी योगी सत्यम जी महाराज के माध्यम से इस सम्मान समारोह को 142 देशों में दिखाने की तैयारी भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार आईआईटी ने पहले ही संस्कृत भाषा में 'रामायण वार्ता' पाक्षिक पत्रिका को डिजिटल माध्यम से हर सनातनी परिवार तक पहुंचाने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। वे खुद भी देश के 11 आईआईटी से संपर्क कर उन्हें इस पहल से जोड़ेंगे और उनसे तकनीकी मदद का अनुरोध करेंगे।
'देवभाषा संस्कृत सीखें' नामक पुस्तिका होगी प्रकाशित
शर्मा ने बताया कि काउंसिल लंबे समय से संस्कृत भाषा में 'रामायण वार्ता' पाक्षिक पत्रिका प्रकाशित कर रही है। इसके अलावा, काउंसिल संस्कृत भाषा में प्रशिक्षण के लिए 'देवभाषा संस्कृत सीखें' नामक एक पुस्तिका भी प्रकाशित करने जा रही है, जिससे संस्कृत पढ़ना और लिखना आसान हो जाएगा।
शर्मा ने आगे कहा कि भारत में ज्यादातर परिवार सनातनी हैं, लेकिन फिर भी सनातन की मूल देवभाषा संस्कृत के प्रति बढ़ती उदासीनता चिंता का विषय है और काउंसिल इसी पर काम कर रही है।