Thursday, May 02, 2024
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NASA ने ISRO को सौंपा NISAR सैटेलाइट, अगले साल होगा लॉन्च, जानें क्या है खास

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सैटेलाइट को 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Published on: March 09, 2023 12:10 IST
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Image Source : TWITTER.COM/USANDCHENNAI अमेरिकी एयरफोर्स ने NISAR को ISRO को सौंप दिया।

बेंगलुरु: अमेरिका की एयरफोर्स ने बुधवार को NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित उपग्रह ‘NISAR’ को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को सौंप दिया। NISAR सैटलाइट का इस्तेमाल धरती को तमाम तरह के खतरों से बचाने के लिए किया जाएगा। चेन्नई में स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने कहा कि यूएस एयरफोर्स का सी-17 विमान ‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (NISAR) को लेकर बेंगलुरु में उतरा। उन्होंने बताया कि यह सैटेलाइट अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और ISRO के बीच सहयोग का नतीजा है।

अगले साल लॉन्च होगा NISAR

अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट किया, ‘NISAR सैटलाइट बेंगलुरु पहुंच गया है। ISRO ने कैलिफोर्निया में NASA से पृथ्वी का अवलोकन करने वाला उपग्रह प्राप्त किया, जिसे अमेरिकी वायु सेना के सी-17 विमान से लाया गया। यह दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग का एक सच्चा प्रतीक है।’ ISRO द्वारा NISAR का इस्तेमाल कृषि मानचित्रण और भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों का पता लगाने सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सैटेलाइट को 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है।


क्यों खास है NISAR सैटेलाइट?
2800 किलोग्राम का NISAR L-बैंड और S-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से लैस है, जिसकी वजह से इसे डबल फ्रीक्वेंसी इमेजिंग रडार सैटेलाइट कहा जाता है। NISAR मौसम की स्थिति की परवाह किये बिना लगातार डेटा कलेक्ट करता है, जिससे धरती के बारे में पहले से कहीं ज्यादा विस्तार से अध्ययन किया जा सकेगा। NISAR का 39 फीट का रिफ्लेक्टर एंटीना और रडार डेटा कलेक्ट करने में इसकी मदद करेगा। इससे इकट्ठा डेटा से पृथ्वी के ऊपरी क्रस्ट और गतिशीलता के बारे में बेहतर जानकारी हासिल होगी, जिससे पृथ्वी के बदलते जलवायु के वैज्ञानिक कारणों को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा।

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