Monday, April 29, 2024
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कोरेगांव-भीमा मामले को एनआईए को सौंपना उचित फैसला: फडणवीस

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले को एनआईए को सौंपे जाने के केंद्र के फैसले का शनिवार को स्वागत किया और इस ‘‘उचित’’ करार दिया। 

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: January 25, 2020 19:59 IST
Transfer of Koregaon-Bhima case to NIA is appropriate: Fadnavis- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Transfer of Koregaon-Bhima case to NIA is appropriate: Fadnavis

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले को एनआईए को सौंपे जाने के केंद्र के फैसले का शनिवार को स्वागत किया और इस ‘‘उचित’’ करार दिया। फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य पुलिस ने ‘‘शहरी नक्सलियों’’ के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया था और एकत्र किए गए सभी सबूत न्यायालय को सौंप दिए थे। जब कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई थी, उस समय फडणवीस गृह मंत्रालय संभाल रहे थे। 

देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने भी पुलिस के कदम का समर्थन किया था।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार वोटबैंक की राजनीति के लिए जांच के बारे में लोगों को गुमराह कर रही है। फडणवीस ने कहा, ‘‘पुलिस का मनोबल गिराने और उसे दबाव में लाने की कोशिशें की जा रही हैं। एनआईए को जांच सौंपने का फैसला उचित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शहरी नक्सलियों का नेटवर्क देशभर में फैला है। इससे पहले संप्रग सरकार ने लोकसभा को बताया था कि शहरी नक्सली मौजूद हैं। ये दोहरे मानक नहीं होने चाहिए। असामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई में सभी को एकजुट होना चाहिए।’’ 

केंद्र ने शुक्रवार को मामला एनआईए को हस्तांतरित किया था। राकांपा और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार ने पुणे पुलिस की जांच की समीक्षा करने के लिए कदम उठाए जिसके बाद ही यह फैसला किया गया। कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच एनआईए को सौंपने के केंद्र के फैसले की निंदा करते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि अचानक उठाया गया यह कदम भाजपा की ‘‘साजिश’’ की पुष्टि करता है। 

राकांपा ने भी आरोप लगाया कि केंद्र के कदम का मकसद महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के गलत कारनामों पर पर्दा डालना है। उल्लेखनीय है कि पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा हुई थी, जिसे एल्गार परिषद मामला भी कहा जाता है। पुणे पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषण हुए जिसके चलते कोरेगांव-भीमा हिंसा भड़की थी।

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