Friday, March 29, 2024
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Dhanteras 2018 Date: जानें कब है धनतेरस, क्या है खरीददारी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Dhanteras 2018 Date, Muhurat & Significance in Hindi: जानिए धनतेरस कब है? धनतेरस के दिन खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त क्या है और धनतेरस के दिन कैसे करें पूजा।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 30, 2018 16:04 IST
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Image Source : INDIA TV dhanteras

धर्म डेस्क: दीपावली हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। दीपावली का त्योहार पांच दिनों का त्योहार होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी कि धनतेरस(Dhanteras) के दिन से दीपावली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस बार धनतेरस 5 नवंबर, सोमवार को पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसारा माना जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का जन्‍म हुआ था इसलिए इस दिन खासतौर पर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्‍मी और गणेश जी की भी पूजा होती है। जानें धनतेरस का शुभ महूर्त, पूजा विधि और खरीददारी का शुभ मुहूर्त।

धनतेरस 2018 का शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त: शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक।

शुभ मुहूर्त की अवधि: 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल: शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक
वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे

इस मुहूर्त में करें खरीदारी

सुबह 07:07 से 09:15 बजे तक
दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक
शा म05:35 से 07:30 बजे तक

ऐसे करें धनतेरस में पूजा

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद अपना रोज की तरह पूजा करें इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें। इस बात का ध्यान रहें कि जब आप भगवान की मूर्ति स्थापित कर रहें हो, तो आपका मुख पूर्व की तरफ पड़े। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें- (Diwali 2018: जानें दीवाली के साथ किस दिन मनाया जाएगा कौन सा त्योहार)

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद भगवान को  गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं। साथ ही चांदी य़ा फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं।

भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-

ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।

इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।

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