दो दिन पहले महाराष्ट्र के लातूर जिले के औसा शहर के वाणवडा रोड इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक स्कोडा कार में भीषण आग लगने की सूचना औसा पुलिस को मिली। सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। लेकिन जब कार की तलाशी ली गई, तो पुलिस के होश उड़ गए। कार पूरी तरह जल चुकी थी और अंदर से एक पूरी तरह जला हुआ शव बरामद हुआ। कार की नंबर प्लेट के आधार पर पुलिस ने वाहन मालिक की जानकारी निकाली।
ऐसे खुलीं साजिश की परतें
जांच में सामने आया कि यह गाड़ी गणेश चव्हाण इस्तेमाल कर रहा था। शव के पास मिले कड़े और अन्य सामान के आधार पर शुरुआती तौर पर मृतक की पहचान भी 35 वर्षीय गणेश चव्हाण के रूप में की गई। हालांकि, मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। औसा पुलिस को इस पूरी घटना पर शक हुआ और उन्होंने गहराई से जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस को कई बातें संदिग्ध लगीं। कार में मौजूद आईडेंटिटी ब्रेसलेट और अन्य सबूत असली लगने के बावजूद कई सवाल खड़े कर रहे थे। तकनीकी जांच, कॉल डिटेल्स और घटनास्थल के साक्ष्यों ने साफ कर दिया कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि सोची-समझी हत्या है।
2 मोबाइल नंबर बंद थे, तीसरे नंबर से कर रहा था चैटिंग
जांच के दौरान सामने आया कि गणेश चव्हाण की एक महिला मित्र थी। जब पुलिस उस महिला तक पहुंची, तो कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट सामने आया। गणेश चव्हाण का मोबाइल फोन जली हुई हालत में कार के अंदर मिला था और उसके दोनों मोबाइल नंबर बंद थे। लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि गणेश चव्हाण एक तीसरे मोबाइल नंबर से अपनी प्रेमिका के साथ लगातार चैटिंग कर रहा था। यहीं से पुलिस को यकीन हो गया कि जो व्यक्ति मरा समझा जा रहा है, वह जिंदा है। इसके बाद औसा पुलिस ने बिना समय गंवाए उस मोबाइल नंबर को ट्रेस किया। रातों-रात पुलिस की टीम लातूर से करीब 500 किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग जिले के विजयदुर्ग पहुंची और वहां से जिंदा गणेश चव्हाण को हिरासत में ले लिया। पुलिस की सख्ती के बाद गणेश चव्हाण ने पूरी साजिश की बात कबूल कर ली।

कर्ज से बचने के लिए रची खौफनाक साजिश
आरोपी ने बताया कि उस पर भारी कर्ज था और वह एक करोड़ रुपये की बीमा राशि हासिल करने के लिए अपनी ही मौत की साजिश रच रहा था। इसी साजिश के तहत उसने कार को आग के हवाले किया। घटना वाली रात औसा टी-पॉइंट पर गोविंद यादव नाम का एक व्यक्ति नशे की हालत में उससे लिफ्ट मांगता है। इसके बाद क्या हुआ, कैसे एक निर्दोष की जान गई और पूरी वारदात को अंजाम दिया गया। इस पूरे मामले का खुलासा लातूर SP अमोल तांबे की जानकारी से मिली।
राह चलते व्यक्ति को बहला-फुसलाकर कार में बैठाया
योजना के तहत आरोपी गणेश ने राह चलते एक व्यक्ति को बहला-फुसलाकर अपनी कार में बैठाया। उसकी बेरहमी से हत्या की और शव को कार में डालकर गाड़ी में आग लगा दी। जांच में जले हुए शव की पहचान गोविंद किसन रावते के रूप में हुई। तकनीकी साक्ष्यों और पुख्ता सबूतों के आधार पर पुलिस ने महज 24 घंटे के भीतर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पैसों के लालच में ली बेगुनाह की जान
कर्ज और पैसों के लालच में रची गई इस खौफनाक साजिश ने एक बेगुनाह की जान ले ली। लेकिन लातूर पुलिस की सतर्कता और तेज कार्रवाई ने इस मर्डर मिस्ट्री को 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया। पुलिस अब ये जांच कर रही है कि आरोपी गणेश ने क्या ये पूरी खौफनाक वारदात को अकेले अंजाम दिया या उसके साथ इसमे उसके और साथी थे? क्या उन्हें पैसों का लालच दिया गया? बड़ी बात खुद को मृत बताने के बाद क्या आरोपी गणेश ने अपने परिवारजनों से संपर्क किया? उसका आगे का प्लान क्या था वो कहां जाकर छिपने का प्रोग्राम बना रहा था और सबसे बड़ा सवाल उसका 1 करोड़ का टर्म इंश्योरेंस का क्लेमर कौन था जो आरोपी को पैसे लेकर देता? इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने में पुलिस जुटी है।
(रिपोर्ट- आसिफ पटेल)
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