इसी दौरान दोस्तो को साइकिल चलाते हुए देखते हुए उनका सिर बालकनी की ग्रिल में फंस गया था। उनके घर वाले बेहद परेशान हो गए थे और तकरीबन आधे घंटे बाद उनकी मां ने खूब सारा तेल डालकर सचिन का सिर रेलिंग से बाहर निकाला। सचिन ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब 'प्लेइंग इट माई वे' में भी किया है। सचिन की किताब के पहले अध्याय 'चाइल्डहुड' में सचिन ने इस घटना को विस्तार से बताया है।
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सचिन अपनी किताब में लिखते है, ‘मैं बचपन में काफी जिद्दी था। मेरे कई दोस्तों पर साइकिल थी, लेकिन मेरे पास नहीं। मैं किसी भी हाल में साइकिल चाहता था। मेरे पिता को मुझे न कहना अच्छा नहीं लगता था। मैंने जब उनसे कहा कि मुझे साइकिल चाहिए, तो उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ दिनों में वह मुझे साइकिल दिला देंगे। आर्थिक तौर पर 4 बच्चों को पालना बेहद मुश्किल होता है।’
बकौल सचिन, ‘बिना इस बात को जाने की मेरे पिताजी को इसके लिए क्या करना होगा, मैं साइकिल की जिद पर अड़ा रहा और मैंने साइकिल न आने तक बाहर खेलने जाने से मना कर दिया। मैं सप्ताह भर तक बाहर खेलने नहीं गया। मैं बालकनी में ही खड़ा रहकर अपने दोस्तों को देखता था।’
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