विदेशी बाजारों में क्रूड की कीमतें में गिरावट देखने को मिल रही है। ब्रेंट क्रूड 17 मार्च के बाद से 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चल रहा है। फिलहाल कीमतें 63 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गई है।
सूत्रों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और तीन अन्य रिफाइनरी कंपनियों ने मई में सऊदी अरब से 1.5 करोड़ बैरल के मासिक औसत की तुलना में सिर्फ 65 प्रतिशत की खरीद करने का फैसला किया है।
बीते 10 दिनों से ब्रेंट क्रूड की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे चल रही हैं। हालांकि बीते महीने कीमतें 71 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। आने वाले समय में उत्पादन बढ़ने से कीमतों में और गिरावट दर्ज हो सकती है।
आज ब्रेंट क्रूड की कीमत 63.13 डॉलर प्रति बैरल के दिन के निचले स्तर तक पहुंच गई। पिछले सत्र में ब्रेंट क्रूड 64.57 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ था। मार्च के महीने में ही कीमत 71.38 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई थी।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आज कटौती की गई है। बुधवार को जारी नए रेट के मुताबिक डीजल 17 और पेट्रोल 18 पैसे सस्ता हुआ है। जानकारों की माने तो क्रूड कीमतों में मौजूदा गिरावट जारी रही तो कीमतों में जल्द और राहत भी मिल सकती है।
महामारी के समय मांग घटने पर तेल उत्पादक देशों ने इस वादे के साथ उत्पादन घटाया था कि वो मांग सामान्य होने के साथ उत्पादन भी सामान्य करेंगे। तेल उत्पादक देश इसी सप्ताह उत्पादन पर बैठक करेंगे।
फरवरी के महीने में कुल 14 दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े थे, वहीं इस दौरान एक बार भी कीमतो में कटौती नहीं की गई। इस दौरान पेट्रोल की कीमत में 3.87 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 4 रुपये की बढ़त देखने को मिल चुकी है।
अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका कच्चे तेल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है, जिसने 2020 तक नवंबर के दौरान लगभग 8.4 करोड़ बैरल और लगभग 11,500 करोड़ क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का निर्यात किया है।
दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल का भाव रविवार को बिना किसी बदलाव के क्रमश: 90.58 रुपये, 91.78 रुपये, 97 रुपये और 92.59 रुपये प्रति लीटर बना रहा
दिल्ली में 1 जनवरी से अब तक पेट्रोल करीब 4 रुपये से ज्यादा महंगा हो गया है। इसी के साथ डीजल मे भी करीब 4 रुपये की ही बढ़त देखने को मिली है। नए साल में अब तक कीमतों में 15 बार बढ़त दर्ज हो चुकी है। वहीं पिछले एक साल में पेट्रोल 20 रुपये और डीजल 15 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा महंगा हो चुका है।
सरकार ने कंपनियों पर पिछली तारीख से कर लगाने की व्यवस्था के तहत केयर्न से कर मांग की थी। हालांकि, कंपनी अब उक्त कर मांग के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट में जीत हासिल कर चुकी है। पंचाट ने सरकार को केयर्न के बेचे शेयरों का मूल्य, जब्त किये गये लाभांश और रोके गये कर रिटर्न को लौटाने के लिये कहा है।
अमेरिका के कच्चे तेल के भंडार में अनुमान से तेज गिरावट देखने को मिली है। दिसंबर 11 को खत्म हुए हफ्ते में क्रूड इन्वेंटरी 31 लाख बैरल घट गई। हालांकि पहले 19 लाख बैरल की कमी का अनुमान था।
सरकार ने अप्रैल-मई में कच्चे तेल की कीमतों के दो दशक के निचले स्तर पर चले जाने के दौरान इन कच्चे तेल की भंडारण सुविधाओं को भर लिया था। इस खरीद से उसे 68.51 करोड़ डॉलर या 5,069 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली।
अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बनी रहती है तो तेल की खुदरा कीमतों में राहत की संभावना बढ़ेगी। ब्रेंट क्रूड फिलहाल 40 डॉलर प्रति बैरल से नीचे के स्तर पर आ गया है। वहीं WTI 38 डॉलर प्रति बैरल से नीचे है।
सरकार ने चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद देश की सीमाओं से सटे दूसरे देशों के साथ निवेश और कारोबार की शर्तों को और कड़ा कर दिया है। इन देशों की कंपनियों या ऐसी कंपनियों जो इन देशों से किसी भी तरह जुड़ी हैं, उन्हें निवेश या कारोबार के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
तेल उत्पादक देशों के द्वारा उत्पादन को सीमा में रखने के लिए नए कदमों का असर
कोरोना की वजह से लागू प्रतिबंधों के बाद ईंधन की मांग में तेज गिरावट
भंडार रखने से कीमतों में तेज बढ़त से मिलेगी सुरक्षा
मई में तेल आयात पिछले साल के मुकाबले 26 फीसदी घटा
मांग घटने से जुलाई तक देशों के पास तेल रिजर्व 150 करोड़ बैरल तक पहुंचने की संभावना
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