यदि आप भी नौकरी पेशा हैं और कंपनी आपका पीएफ (EPF) काटती है या आप खुद अपनी मर्जी से अपना पीएफ (VPF)कटवाते हैं, तो 1 अप्रैल यानि नए वित्त वर्ष से आपके लिए नियमों में बदलाव होने जा रहा है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर की घोषणा चार मार्च को कर सकता है।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ईपीएफओ वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज की दर में कुछ कटौती कर सकती है।
ईपीएफओ ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 में मोटी सैलरी वाले 1.23 लाख लोगों ने अपने ईपीएफ खाते में 62,500 करोड़ रुपये जमा कराए हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिलने के बाद श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को ईपीएफ के लिए ब्याज दर की अधिसूचना जारी करने के लिए औपचारिक मंजूरी दे दी है।
नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मूल वेतन का 12-12 प्रतिशत योगदान देना होता है।
जैसे ही किसी कर्मचारी का पीएफ खाता खुलता है, तब वह बाई-डिफॉल्ट इंश्योर्ड भी हो जाता है। एम्प्लॉई डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (ईडीएलआई) के तहत कर्मचारी का 6 लाख रुपये तक का बीमा होता है।
किसी कंपनी में अगर कर्मचारी का मासिक वेतन 15 हजार रुपए से कम होता है तो कर्मचारी ESIC के दायरे में आता है और अगर वेतन 15 हजार से ज्यादा है तो कर्मचारी EPF के दायरे में आता है।
वित्त मंत्रालय न्यूनतम पेंशन में वृद्धि करने के श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमत हो गया है। श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमति के चलते न्यूनतम पेंशन डबल करने घोषणा जल्द हो सकती है।
इस तरह बीच में पैसा निकालने के लिए EPFO के कुछ नियम हैं, जिनके तहत ही पैसा निकाला जा सकता हैं।
शेष 0.35 प्रतिशत ब्याज का भुगतान इस साल दिसंबर तक अंशधारकों के ईपीएफ खातों में किया जाएगा।
ईपीएफओ ने 28 मार्च को कर्मचारियों को राष्ट्रव्यापी पाबंदी की वजह से पैदा हुई दिक्कतों के मद्देननजर ईपीएफओ से अग्रिम निकालने की अनुमति दी थी।
कर्मचारी भविष्य निधि सदस्य अब अपने कर्मचारी भविष्य निधि खाते में जमा राशि के 75 प्रतिशत तक अथवा 3 माह के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के बराबर राशि, जो भी कम हो, निकाल सकते हैं।
कांग्रेस ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.5 प्रतिशत करने को लेकर बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि छह करोड़ कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई पर यह चपत मोदी सरकार में ही मुमकिन है।
2019-20 के लिए अब 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा। इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में पीएफ जमा पर ब्याज की दर 8.65 प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 8.65 प्रतिशत की ब्याज दर को कायम रखने का इच्छुक है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के निवेश में हुए घोटाले की भरपाई इसके दोषियों की सम्पत्ति जब्त करके करेगी।
अभी तक ईपीएफओ 2017-18 के लिए मंजूर ब्याज दर 8.55 प्रतिशत के हिसाब से ईपीएफ निकासी दावों का निपटान कर रहा था।
न्यासियों के केंद्रीय बोर्ड ने इस साल फरवरी में पिछले वित्त वर्ष के लिए 8.65 प्रतिशत ब्याज दर को अपनी मंजूरी दी थी।
श्रम मंत्रालय 2018-19 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर 8.65 प्रतिशत की ब्याज दर को जल्द अधिसूचित करेगा। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को इस ब्याज दर पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है।
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