प्रदर्शनकारी तय रूट छोड़कर सेंट्रेल दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी लालकिले पर भी पहुंच गए हैं। इन्होंने यहां पर लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर अपना झंडा फहरा दिया है।
दिल्ली की सड़कों पर फिलहाल उपद्रव का माहौल है। गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली की सीमाओं से लेकर सेंट्रल दिल्ली अराजकता का माहौल दिख रहा है।
तमाम सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए किसान राजपथ से चंद किलोमीटर दूर आईटीओ तक भी पहुंच गए।
कृषि किसानों का विरोध कर रहे किसान संगठन आज राजधानी नई दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं। ट्रैक्टर रैली में कई जगहों पर बवाल हो गया है। किसान कई जगहों पर पहले से तय रूट के बजाय दूसरे रूट पर जाने के लिए अड़ गए हैं, जिसके बाद हंगामा हो गया है।
दिल्ली में किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति तो सरकार ने दे दी है, लेकिन अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
दिल्ली के बॉर्डर पर करीब 3 महीनों से किसान डेरा डाले हैं। अब किसान आंदोलन की आग पंजाब हरियाणा, दिल्ली से होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी है।
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी पंजाब के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि हमें लगता है कि ट्रैक्टर रैली के लिए हमें जिस तरह की अनुमति दी गई है वह सही नहीं है। हम ओल्ड रिंग रोड पर जाना चाहते थे, लेकिन हमें सशर्त अनुमति दी गई और उस हिस्से की अनुमति दी गई है जो बड़े पैमाने पर हरियाणा के अंतर्गत आता है।
पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के नेता सतनाम सिंह पनू ने सिंघू बार्डर पर मीडिया से बातचीत में कहा कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए बहुत सारे किसान दिल्ली आ रहे हैं। हम दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर रैली निकालेंगे।
टिकैत ने एक बयान में कहा, ''करीब 25,000 ट्रैक्टर यहां पहुंचेंगे और गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के साथ ही अन्य जिलों में भी किसान ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इसमें हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होगी।''
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विज्ञान भवन में शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं पर बातचीत के सिद्धांतों का पालन न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब किसी मुद्दे पर दो पक्षों में बातचीत चल रही हो, तब नए-नए तरह के आंदोलनों के ऐलान से बचना चाहिए।
नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसानों-सरकार के बीच विज्ञान भवन में चल रही 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने सबसे बेहतर प्रस्ताव दे दिया है। वहीं अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं की गई है।
गुरुवार को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया।
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने आरोप लगाया, "किसानों का आंदोलन जारी है और सरकार ने बातचीत के नाम पर हैरान करने वाली असंवेदनशीलता और अहंकार दिखाया है।"
हरियाणा पुलिस के आदेश के अनुसार, "राज्य में किसान आंदोलन को देखते हुए आपातकालीन अवकाश को छोड़कर सभी छुट्टियां अगले आदेश तक रद्द की जाती हैं।"
आंदोलनरत किसानों ने दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है लेकिन पंजाब के संगरूर के तीन दोस्तों ने इस अवसर पर ट्रैक्टर की बजाय कार पर किसानों के समर्थन में पोस्टर लगाकर रैली में शामिल होने का निर्णय लिया है।
बैठक के बाद क्रांतिकारी किसान संघ के नेता दर्शन पाल ने बताया कि सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कहा है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हमने भी स्पष्ट कर दिया है कि हम वहां पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। केंद्र सरकार के साथ कल की मीटिंग के बाद हम पुलिस के साथ एकबार फिर से मीटिंग करेंगे।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के निकट सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने धुले हुए कपड़ों को तेजी से सुखाने के लिए इस्त्री करने की व्यवस्था शुरू की है।
एक तरफ किसानों और सरकार की आज बातचीत होगी.. वहीं दूसरी ओर ट्रैक्टर रैली पर आज सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई है।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि यह संयुक्त किसान मोर्चा के आरोप नहीं हो सकते नहीं बल्कि एक व्यक्ति के हैं। ये हैं कक्का जी (शिवकुमार सिंह) के आरोप जो खुद आरएसएस के एजेंट हैं। वे लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा राष्ट्रीय किसान संघ के प्रमुख रहे हैं।
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