President Election: राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब कुछ ही दिन बाकी है। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए बनाए गए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम वापस ले लिया है।
Farooq Abdullah questioned by ED: श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए। यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में कथित आर्थिक अनिमियतता से जुड़ा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में नजर आ रहा है कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला सदन में बोल रहे हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय छात्रों को लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि रूस को लगा उसकी सुरक्षा को खतरा है क्योंकि यूक्रेन नाटो के साथ जा रहा है।
जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं वे इस बात का सबूत हैं कि फारूक अब्दुल्ला को कश्मीर में पंडितों के खिलाफ हो रही साजिश का अंदेशा था।
फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जानबूझकर बवाल पैदा किया जा रहा है। अगर कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म का सच जानना है, कश्मीरी पंडितों का असली गुनहगार कौन है ये जानना है तो इन्क्वायरी कमीशन बना दिया जाए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
कश्मीरी पंडितों के साथ 90 के दशक में जो बेरहमी हुई। आज हिंदुस्तान का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। आज लोग सवाल कर रहे हैं कि हमारे ही देश में लाखों कश्मीरी हिंदुओं के साथ ये दंरिदगी हुई और एक आदमी को सजा नहीं मिली। एक एफआईआर नहीं हुई। आखिर कोई तो जिम्मेदार होगा।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने हमेशा कहा कि एक दिन आएगा जब कश्मीर के हर गली और कोने में एक नेता होगा।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
फारूक अब्दुल्ला 7 नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक मुख्यमंत्री थे। यह वह समय था, जिसमें कश्मीर धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा चेतावनी के बावजूद उदासीनता दुर्गम लग रही थी।
अमित मालवीय ने आगे लिखा-'18 जनवरी 1990 को फारूक अब्दुल्ला के पद छोड़ने के बाद उन्हें 20 जनवरी 1990 को फिर से राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
कश्मीर के नाम पर फिर एक बार देश में पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। श्रीनगर में कल पुलिस पर हमला हुआ तो आज दिल्ली में उसपर खूब सियासत हुई। फारुख अब्दुल्ला ने एक बार फिर पाकिस्तान से बात करने की पैरवी की। तो वही संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने फाहरुख अब्दुल्ला को पाकिस्तान जाने की नसीहत दी। देखिए कुरुक्षेत्र सौरव शर्मा के साथ।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर यह मुल्क एक होता तो ताकत भी रहती, मुश्किलें भी नहीं पैदा होती और देश में भाईचारा भी रहता। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती थी।
अब्दुल्ला ने जवाब दिया, ‘‘आपको बात करनी होगी। कोई रास्ता नहीं है (आतंकवाद को खत्म करने के लिए)।”
नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। अपने बयान में उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनाव में हार के डर से तीनों कृषि क़ानून वापस लिए गए।
अब्दुल्ला ने हाल में कहा था कि अपने अधिकार वापस पाने के लिये जम्मू कश्मीर के लोगों को प्रदर्शनकारी किसानों की तरह ‘बलिदान’ करना पड़ सकता है।
आरएसएस नेता ने केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के कथित दमन के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की भी आलोचना की और कहा कि "झूठ बोलना उनके लिए एक फैशन बन गया है।"
अगस्त 2019 में, सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। रैली को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए उनके द्वारा की जा रही वकालत का भी बचाव किया।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नहीं रुक सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, हमें हिंदुओं और मुसलमानों के बीच खड़ी की जा रही नफरत की दीवार को गिराना है।
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