भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर का मानना है टीम इंडिया को 1983 में विश्व कप विजेता बनाने वाले कप्तान कपिल देव हमेशा उनकी नजर में नंबर-1 भारतीय क्रिकेटर होंगे।
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी मनिंदर सिंह ने सौरव गांगुली को बेस्ट चुना और इसके पीछे की वजह भी बताई है।
इरफ़ान पठान का जन्म 1984 में हुआ था। जबकि भारत ने अपना पहला विश्वकप साल 1983 में इंग्लैंड के लॉर्ड्स में कपिल देव की कप्तानी में जीता था।
कपिल देव का मानना है कि वो अपने समय के अन्य ऑलराउंडर इमरान खान, रिचर्ड हेडली, और इयान बॉथम की तुलना में बेहतर एथलीट थे।
कपिल देव ने 30 जुलाई 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट मुकाबले में ओवर की आखिरी चार गेंद पर लगातार चार छक्के लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने थे।
बीसीसीआई के अंडर-19 खिलाड़ियों को एक विश्व कप तक सीमित करने के फैसले का समर्थन किया। द्रविड़ बेंगलुरू में एनसीए के भी क्रिकेट प्रमुख हैं।
कपिल देव और पूर्व स्पिनर मुरली कार्तिक शनिवार को दिल्ली के नए गोल्फ क्लब (डीजीसी) में एक निजी दौर के लिए गोल्फ खिलाड़ी शुभंकर शर्मा और गगनजीत भुल्लर के साथ जुड़े। इ
कपिल देव ने कहा कि ऐसा नहीं है एक अच्छी टीम कहलाने के लिए आपको वर्ल्ड कप जीतना ही है। विराट कोहली अच्छा काम कर रहे हैं, सौरव गांगुली ने अच्छा काम किया था।
भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने कहा है कि 1983 विश्व कप जीतना भारत के लिए मील का पत्थर साबित हुआ जो बड़ा बदलाव लेकर आया।
आज यानी 25 जून वह ऐतिहासिक दिन है, जिस दिन भारत ने इस टूर्नामेंट में फतेह हासिल की थी।
गावस्कर ने कहा कि मेरे विचार से भारत ने जितने भी क्रिकेटर पैदा किए हैं, कपिल उनमें सबसे महान और मैच विजेता हैं, क्योंकि वह आपको बल्ले और गेंद दोनों से मैच जिता सकते थे।
इस मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीकांत के 38 रन के दम पर विंडीज की धाकड़ टीम के सामने 184 रन का लक्ष्य रखा था।
फाइनल में भारत का मुकाबला दो बार की वर्ल्ड कप विजेता टीम वेस्टइंडीज से होना था। हर किसी को लग रहा था की विंडीज भारत को मात देकर जीत की हैट्रिक लगा लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
भारत के पूर्व बल्लेबाज क्रिस श्रीकांत ने कहा कि 183 के स्कोर पर आउट होने के बाद उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह 1983 विश्व कप फाइनल जीत पाएंगे।
श्रीकांत ने कहा "विराट कोहली और कपिल का दृष्टिकोण एक जैसा है। सकारात्मक और आक्रामक। पहले जीत के लिए जाओ।"
कपिल ने यह पारी तब खेली जबकि भारत का स्कोर चार विकेट पर नौ रन था जो जल्द ही पांच विकेट पर 17 रन हो गया था।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत एक बार फिर अच्छी नहीं रही। श्रीकांत इस बार बिना खाता खोले आउट हो गए थे, वहीं गावस्कर ने 58 गेंदों पर 22 रन बनाए थे।
इस मुकाबले से मिलने वाली धनराशि कोविड-19 के खिलाफ प्रयासों में एनजीओ ‘मैजिक बस’ की मदद के लिए दी जाएगी।
भारतीय क्रिकेटर संघ ( आईसीए ) ने आगे आकर अन्य क्रिकेटरों की आर्थिक कमजोरी को मदद पहुंचाने का फैसला किया है।
भारतीय क्रिकेट टीम जब साल 1983 में वर्ल्ड कप खेलने के लिए इंग्लैंड गई थी तो किसी नें नहीं सोचा था कि ये टीम वर्ल्ड का खिताब लेकर वापसी देश लौटेगी। लेकिन फाइनल में टीम इंडिया ने लॉर्ड्स के मैदान पर उस समय की दो बार की वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज को मात देकर पहली बार खिताब कब्जा जमाया।
संपादक की पसंद