एम्स के पूर्व निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सरकार द्वारा स्वीकृत इंट्रा-नेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के रूप में बेहतर प्रतिक्रिया देगी, इसलिए हमारी स्थिति चीन से बहुत अलग है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया(Dr Randeep Guleria) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। डॉ गुलेरिया उन प्रमुख लोगों में शामिल थे, जिन्होंने COVID-19 महामारी के चरम के दौरान केंद्र सरकार की रिस्पांस टीम का नेतृत्व किया था।
डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘‘हमारे पास दूसरी पीढ़ी के टीके होंगे। यह एक ऐसी चीज है जिसे हमें ध्यान में रखने की जरूरत है। मौजूदा टीके प्रभावी हैं, लेकिन नए स्वरूप के साथ, उनकी प्रतिरक्षा में कमी आएगी, हालांकि टीकों में बदलाव किया जा सकता है।’’
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘‘देश में कोविड की पहली दो लहरों की तुलना में उतनी ही तीव्रता वाली तीसरी लहर आने की संभावना नहीं है। समय के साथ महामारी स्थानीय बीमारी का रूप लेगी। मामले आते रहेंगे लेकिन प्रकोप बहुत कम हो जाएगा।’’
राज्य सरकारों ने बच्चों की जिम्मेदारी स्कूलों पर डाल दी है, और स्कूलों के मैनेजमेंट ने ये जिम्मेदारी अभिभावकों पर डाल दी है।
गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एक संस्थान द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आशंका जतायी है कि देश में कोविड-19 की तीसरी लहर सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी आ सकती है। पैनल ने वैक्सीनेशन की गति में तेजी लाने का सुझाव दिया है।
बच्चों की कोरोना वैक्सीन और देश में कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर कब आएगी? इसको लेकर शुक्रवार को दिल्ली ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बड़ा अपडेट दिया है।
कोरोना महामारी के बीच भारत में इस साल बर्ड फ्लू से मौत का पहला मामला सामने आया। दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती 12 साल के लड़के की मंगलवार को H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) से जान चली गई।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिये कोविड-19 टीकों की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इससे स्कूल खुलने तथा उनके लिए बाहर की गतिविधियों के लिये मार्ग प्रशस्त होगा।
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता के विषय पर दी गयी रिपोर्ट को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को कहा कि यह अंतरिम रिपोर्ट है और ऑक्सीजन की आवश्यकताएं हर दिन बदलती रहती हैं।
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में कोरोना की तीसरी लहर अगले छह से आठ सप्ताह में आ सकती है।
ब्राजील के एक शहर सेरेना में सारे एडल्टस को वैक्सीन लगा दी गई है, जिसके बाद यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या में 95 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगवाने को लेकर दिल्ली एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इंडिया टीवी के साथ विशेष बातचीत में कई जरूरी बातें साझा की।
दुनिया भर के विशेषज्ञ बार बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के कारगर तरीका तेज टीकाकरण ही है। वहीं, कई लोगों के मन में यह भी सवाल है कि अगर वे कोविड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद पॉजिटिव हो जाते हैं, तो क्या दूसरी डोज लेनी चाहिए।
कोरोना वायरस की वजह से रोजाना 4 लाख से ज्यादा नए कोरोना मामले सामने आ रहे हैं और 3500-4000 लोगों की मौत हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल बनता है कि इस लहर का पीक कब होगा और कब नए कोरोना मामले घटना शुरू होंगे और कब मौतों के आंकड़े में कमी आएगी।
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।'
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में देश ऑक्सीजन की भारी कमी और रेमडेसिविर दवा की किसे जरूरत है इसको लेकर दिल्ली एम्स के निदेशक ने जरुरी जानकारी दी है।
एम्स ने कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के चलते अपर्याप्त संसाधनों और स्टाफ की कमी के चलते कोरोना वायरस के संक्रमितों के संपर्क में आए स्वास्थ्य कर्मियों की जांच और बिना लक्षण वाले संपर्कों के पृथक-वास को बंद करने का फैसला किया है।
देश के शीर्ष डॉक्टरों ने बुधवार को कहा कि ''ऑक्सीजन दवा के जैसी है'' और रुक-रुक इसे लेना फायदेमंद नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई डाटा नहीं है, जो दर्शाता हो कि यह कोविड-19 रोगियों के लिए किसी भी तरह मददगार है या होगी, लिहाजा यह बेकार की सलाह है।
डॉक्टर गुलेरिया का मानना है कि वैक्सीन कोई सॉल्यूशन नहीं है, इसे लगाने के बाद भी लोग संक्रमित हो सकते हैं। उन्हें नॉर्मल फ्लू जैसी स्थिति हो सकती हैं लेकिन उनकी मौत की संभावना बेहद कम हो जाएगी।
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