UBS की बात करें तो भारत में इसका परिचालन बहुत छोटे स्तर पर है। 2013 में यूबीएस ने भारत में मौजूद अपनी एकमात्र शाखा को बंद कर दिया था।
क्रेडिट सुइस ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह अपने शेयरों के गिरने के बाद स्विस सेंट्रल बैंक (केंद्रीय बैंक) से 54 अरब डॉलर तक का कर्ज लेगा।
क्रेडिट सुइस को संकट से उबारने के लिए स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े बैंक यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (Union Bank of Switzerland) ने इसका अधिग्रहण करने की घोषणा की है।
रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण में गति आने के साथ उपभोक्ता तथा व्यापार भरोसा बढ़ने की संभावना है। इससे आर्थिक पुनरूद्धार में दूसरी छमाही से गति आने की उम्मीद है।
देश में मकान की कीमतें इस समय ग्राहकों की जेब के हिसाब से 15 साल के सबसे मुनासिब स्तर पर हैं।
बढ़ते वैश्विक जोखिम से अल्पावधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 68 से 72 रुपए प्रति डॉलर के दायरे में पहुंच सकता है लेकिन इसके बाद रिजर्व बैंक (RBI) स्थिति नियंत्रण में लाने के लिये बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है। यूबीएस की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
देश में अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव भरे रहने की संभावना है। नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार इस राजनीति की अस्पष्टता के चलते निकट अवधि में शेयरों का मूल्यांकन सीमित ही रह सकता है।
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म यूबीएस का कहना है कि वैश्विक निवेशक पहले ही 2019 में मोदी की जीत पर दांव लगा चुके हैं और सरकार अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों पर विचार कर सकती है।
UBS की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि रुपया चालू वित्त वर्ष में औसतन 64.3 रुपये प्रति डॉलर पर रहेगा।
यूबीएस कहना है कि सरकार द्वारा जिन ढांचागत सुधारों को आगे बढ़ाया जा रहा है, उनसे आने वाले समय में देश के लिए सतत् वृद्धि का आधार तैयार होगा।
ल्यूपिन के इंदौर प्लांट को लेकर अमेरिकी दवा रेग्युलेटर यूएसएफडीए ने 6 ऑब्जर्वेशन जारी किए है। इस खबर के बाद कंपनी का शेयर 3 साल के निचले स्तर पर आ गया।
नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दुरूपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बाद HSBC और UBS समेत कई विदेशी निवेशकों ने P-Note जारी करना बंद कर दिया है।
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