उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के लोग खर्च करने के मामले में राजधानी लखनऊ से भी आगे हैं। यह खुलासा केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में हुआ है। मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों में उत्तर प्रदेश में खर्च करने की आदतों के संबंध में किए गए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के निष्कर्षों का विस्तृत विवरण दिया गया है। इसमें राज्य के विभिन्न जिलों में उपभोक्ता खर्च में महत्वपूर्ण असमानताओं और वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में प्रति व्यक्ति औसत मासिक शहरी उपभोग व्यय सबसे अधिक 9705 रुपये है। शहरी खर्च के मामले में गोंडा दूसरे स्थान पर है (8133 रुपये), जिसके बाद बागपत, लखनऊ और मुजफ्फरनगर का स्थान आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में औसत खर्च के मामले में श्रावस्ती सबसे आगे है। यहां प्रति व्यक्ति औसतन मासिक खर्च 4462 रुपये है। ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च की वृद्धि दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक रही है, और 2011-12 की तुलना में दोनों के बीच का अंतर कम हो रहा है।
गोंडा में औसत मासिक खर्च 8133 रुपये
गोंडा के शहरी क्षेत्र में औसत व्यय 8133 रुपये है। शहरी क्षेत्रों में बागपत तीसरे, लखनऊ चौथे और मुजफ्फरनगर पांचवें स्थान पर है। बागपत में औसत खर्च 6995 रुपये, लखनऊ में 6622 रुपये और मुजफ्फरनगर में 6081 रुपये है। केंद्रीय मंत्रालय की रिपोर्ट और उत्तर प्रदेश के जिला स्तरीय आंकड़ों के अनुसार, राज्य में उपभोक्ता व्यय में व्यापक असमानता के साथ-साथ महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
इन जिलों के लोग सबसे कंजूस
बलिया उत्तर प्रदेश का सबसे कम औसत व्यय वाला शहरी जिला है। यहां के शहरी हिस्से में रहने वाले लोगों का औसत मासिक खर्च 2581 रुपये है। वहीं, अंबेडकर नगर में 2653 रुपये और गाजीपुर में 2771 रुपये है। मऊ और सिद्धार्थनगर में भी औसत खर्च बेहद कम है। मऊ में औसत मासिक खर्च 2937 रुपये और सिद्धार्थनगर में 3060 रुपये है।
सबसे कम खर्च वाले ग्रामीण जिले
सोनभद्र- 2357 रुपये
चंदौली- 2367 रुपये
मिर्जापुर- 2409 रुपये
गाजीपुर- 2579 रुपये
कन्नौज- 2597 रुपये
सबसे ज्यादा खर्च वाले ग्रामीण जिले
श्रावस्ती- 4462 रुपये
गौतम बुद्ध नगर- 4454 रुपये
बागपत- 4347 रुपये
मेरठ- 4279 रुपये
गाजियाबाद- 4044 रुपये
10 सालों में खर्च का आंकड़ा बढ़ा
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति औसत मासिक उपभोग व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 3773 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 6459 रुपये है। पिछले दस सालों में इसमें उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च शहरी क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ा है। 2022-23 में ग्रामीण और शहरी उपभोग व्यय के बीच का अंतर लगभग 71 प्रतिशत है। यह वर्ष 2011-12 की तुलना में कम है।
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