Saturday, April 27, 2024
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Exclusive: 'गदर 2' की कामयाबी देख सुभाष घई को जगी उम्मीद! बोले- जल्द बन सकते हैं इन दोनों सुपरहिट फिल्मों के सीक्वल

सुभाष घाई ने अपने आने वाले सीरियल को लेकर इंडिया टीवी से खास बात की है। जिसमें उन्होंने खुलासा किया है कि 'जानकी' सीरियल से प्रधानमंत्री जी का क्या कनेक्शन है।

Reported By : Joyeeta Mitra Suvarna Edited By : Ritu Tripathi Updated on: August 16, 2023 16:47 IST
Subhash Ghai- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM Subhash Ghai

Subhash Ghai TV Debut: बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले सुभाष घई अब एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार हैं। सुभाष घई अब सिल्वर स्क्रीन के बाद टीवी पर डेब्यू करने जा रहे हैं। उनका पहला टीवी सीरियल 'जानकी' जल्द ही ऑन एयर होने वाला है। इस मौके पर इंडिया टीवी से बात करते हुए सुभाष घई ने कई बड़े राज खोले हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वह भी 'गदर 2' की सफलता के बाद अब 'कर्मा' जैसी फिल्म का सीक्वल ला सकते हैं। तो आइए जानते हैं क्या बोले सुभाष घई...  

Q- टेलीविजन पर आप अपनी सीरीज 'जानकी' के साथ बड़ा डेब्यू करने वाले हैं। 208 एपिसोड का यह सीरियल चलेगा और क्या मैसेज देगा?

सुभाष घई: कोई भी नाटक चाहे वह सिनेमा में हो चाहे वह टेलीविजन में हो चाहे OTT में हो दिखाया जाता है तो वे समाज से लिया जाता है समाज की प्रॉब्लम से। इसीलिए कहते हैं ना सिनेमा एक समाज का प्रतिबिंब है। तो उसे महसूस करते हैं आज से 100 साल पहले औरतों को पढ़ने नहीं दिया जाता था, पहले प्रॉब्लम थी एजुकेशन की, इन 100 सालों में आज हम इस अवस्था में हैं जो हमने महिला की ताकत को समझाएं उनका साथी बनाया है एक कद में रखा है और कंपटीशन में रखा है कि हम साथ आगे बढ़ेंगे। 

'जानकी' का जो विषय है, जानकी सीता माता का नाम है। हमारे फिल्म में जानकी एक बेटी है जो हमारे भारत की बेटियों को रिप्रेजेंट करती है जब हम बेटी की बात करते हैं तो बेटी पैदा होती है तो सब उदास हो जाते हैं बड़ी मुश्किल से कहते हैं लक्ष्मी आई है। हम यह क्यों नहीं कहते कि एक योद्धा आई है, हम यही क्यों नहीं कहते कि एक बुलंदियों पर चलने वाला बच्चा हुआ है, यह सवाल जानकी पूछेगी जानकी जब बचपन में पैदा हुई थी उसको छोड़ दिए थे जब 4 साल की हुई तो अलग चुनौती, 8 साल की हुई तो अलग चुनौती, 21 साल की हुई तो अलग चुनौती। यह जो बेटी की यात्रा है उसकी जो चुनौती है उसकी जो संवेदना है वह बताती नहीं है वह सवाल करती है अपने मां-बाप से समाज से। तुम बेटी हो तो मैं यह नहीं अच्छा लगता बेटे खेल सकते हैं तुम नहीं खेलने जाओगे तो आपने पहले से उसे दबाना शुरू कर दिया बेटी सवाल करती है कि मुझे आप पढ़ाओ जबकि मैं हर बेटी को देखती हूं मां-बाप बुढ़ापे में उनके मरने के समय तक बेटियां सबसे ज्यादा आगे बढ़ती है बेटे नहीं जाते बेटे तो बहू के साथ चले जाते हैं यह एक बड़ा आंतरिक प्रश्न है जो आपके भी दिमाग में होगा, हर इंसान के दिमाग में होगा तो उसे विषय को लेकर बेटी कौन-कौन सी चुनौतियां का सामना करती है किन-किन तूफानों का सामना करना पड़ता है। वह सवाल करते चले जाती और उसका जवाब भी खुद देती है जानकी एक बहुत ही ड्रैमेटिक कैरेक्टर है बहुत इंटेलिजेंट कैरेक्टर है जानकी सत्य बोलती है।

सवाल: बहुत साल पहले मैंने सुना कि आप फिल्म बनाने वाले थे?

सुभाष घई: मैं इस पर फिल्म बनाने वाला था 95 की बात है, लेकिन उसके बाद मैंने 'परदेस' बनाई। यह सब्जेक्ट में लिखा हुआ था कहानी पूरी लिखी हुई थी। कहानी आजकल में लिखता रहता हूं अभी 5 साल से बहुत सारे स्क्रिप्ट लिखे हैं मैंने मुझे लिखने का शौक है अलग-अलग विषय पर लिखने का शौक है।

सवाल: इतने बड़े स्तर पर इतने बड़े लेवल पर और एक जरूरी बात हमेशा कही है आपने और अपनी फिल्मों के जरिए भी और आप क्या 100 प्रतिशत श्योर हैं कि दूरदर्शन के जरिए इतना बड़ा अच्छा मुद्दा लोगों तक पहुंचेगा और दूरदर्शन का रीच भी गांव-गांव में ज्यादा है। 

सुभाष घई: कोई भी प्रोग्राम अगर बनाया जाता है तो टारगेट ऑडियंस के हिसाब से बन जाता है। यह यंगस्टर्स के लिए यह बच्चों के लिए यह बुजुर्ग के लिए यह महिलाओं के लिए है। मुझे आपकी समझ से ही कहानी बनानी पड़ती है जानकी सीरियल में डायरेक्टर्स ने एक्ट्रेस ने बहुत अच्छा काम किया। जानकी 15 अगस्त को शाम को 8:30 बजे। और उसके बाद सोमवार से शुक्रवार 5 दिन हफ्ते में आती रहेगी। 208 धारावाहिक है लेकिन यह कैसा शो होगा जिसका स्क्रिप्ट पहले से ही 208 एपिसोड का लिखा जा चुका है हर कैरेक्टर में हो तो उसके बचपन से लेकर उसके जवानी से लेकर उसके बुढ़ापे तक पूरी कहानी लिखी जा चुकी है। 1 साल से उसका मंथन किया जा रहा है और यह जो अच्छी बात है कि कमर्शियल सिनेमा के अंदर मुश्किल हो जाता है आप 10 एपिसोड के बाद टीआरपी देखते हैं अरे यह नहीं चल रहा है हम हीरो को मार देंगे कुछ अलग तरीके से करेंगे तो ऐसा किया जाता है और इस सीरियल में जो स्टोरी टेलिंग है वह हमारे लिए मोस्ट इंपोर्टेंट है। 

सवाल: आपने 1995 की बात की, तो जब फिल्म बनाते तो किसे एक्टर के रूप में लेते?

सुभाष घई: जिस वक्त मैंने पुस्तक लिखी थी उस वक्त उसने उसका नाम 'भारती' था तो उस समय में रेखा जी के बारे में सोच रहा था और उनसे मैंने बात भी की थी कि मैं ऐसा स्क्रिप्ट लिख रहा हूं एक हालात होता ना कभी यह प्रोजेक्ट नहीं तो चलो वह कर लो तो वह प्रोजेक्ट काम आया मैंने बहुत सारी फिल्म बनाई है। कई शॉर्ट फिल्में बनाई लेकिन इस सोच से किसको 30 पर्सेंट लोग देखेंगे मैंने खुद ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म बनाई मुझे मालूम था कि 30 पर्सेंट लोग देखेंगे। 

सवाल: 'कर्मा' और 'परदेश' को कोई भी नहीं भूल सकता आज भी 'कर्मा' के गाने लोगों के जहन में हैं। करमा आपके दिल के कितना करीब है?

सुभाष घई: 'कर्मा' का 37वां साल चल रहा है और यह मेरे बहुत करीब है। अगस्त में फिल्म रिलीज हुई और उसका जो एक गाना था 'मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू' आज भी स्कूलों में बजता है। हर 15 अगस्त 26 जनवरी को वह गाया जाता हर भारतवासी गाता है। तो मैंने सोचा कि इस गाने को कैसे ट्रिब्यूट दिया जाए कि मैंने महसूस किया कि इस जमाने में थोड़ा संस्कृत की तरफ से लोगों को ले जाना चाहिए। संस्कृत भाषा मदर आफ ऑल लैंग्वेजेस है भाषा की कदर अमेरिका जैसे कंट्री करते हैं और हम नहीं करते हैं। हम भारतीय हमारा भाव है यह हर फेस्टिवल का हर जीवन का हर मरण का हर चीज का। हमने सोचा कि इस गाने को संस्कृत में ट्रांसलेट करते हैं और मैं कविता जी को फोन किया कविता जी ने भी खुशी-खुशी से गाया। यह इतना खूबसूरत गाना बनकर आया है सारेगामा के साथ हमने कोलैबोरेशन किया बहुत ही अच्छी तरीके से उसे स्वीकार किया गया चार-पांच दिन हुए इस गाने को लेकिन अभी जो मैं देख रहा हूं यह स्कूल के बच्चे भी गा रहे हैं 4 दिन मेरे से इतना एक्सेप्ट किया गया तो कुछ सालों में और भी हो जाएगा।

सवाल: फिल्मों की बात करें तो फिल्मों का भविष्य किस तरह देखते हैं आप?

सुभाष घई: अभी कन्फ्यूजन है जो इन्वेस्टर हैं पैसे लगाने वाला वह खुद ही कंफ्यूज हो जाता है मैं इधर पैसे लगाऊं कि इधर लगाऊं, तू खुद डिसाइड नहीं कर पा रहा है कि पेरलेल सिनेमा को करूं? मॉडर्न सिनेमा को करूं? या गदर को करूं। आजकल बहुत कहानियां है लेकिन असल बात यह है की कहानी को बताना व्होलेसम तरीके से। व्होलेसम का मतलब होता है की एक मजदूर फ्रंट बेंच पर बैठा है और   बालकनी आईएस ऑफिसर बैठकर देख रहा है दोनों तक से संदेश जाए। वे दोनों अप्रिशिएट करें। मास सिनेमा आज भी उतना ही स्ट्रांग है और 'गदर' को एक सेलिब्रेशन में डाल दिया वह एक फिल्म नहीं है वह लोगों की इमोशन बन चुका है।
'ग़दर' कहानी को पड़ेगी सुंदर तरीके से पेश किया गया है मास को यह कहानी पसंद आई। 

सवाल: आपके पास भी तो ऐसी फिल्में हैं चाहे वह कर्मा हो राम लखन हो आपने देखा है रिस्पांस लोगों के इमोशन जुड़ते हैं तो आपकी फिल्में हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं?

सुभाष घई:  धनी सेठ भी तो चाहिए पैसा लगाने के लिए।

सवाल: आपको कहा जाए यदि फिल्म बनाने के लिए अब तो आप कौन सी फिल्म को बनाना चाहेंगे?

सुभाष घई: खलनायक, सौदागर। अगर हम फिर से ऐसी फिल्में बनाने लगे तो लोगों को लगने लगेगा कि हां सिनेमा जिंदा है।

सवाल: प्रधानमंत्री जी का जो इनीशिएटिव है फीमेल लिटरेसी हो या भ्रूण हत्या के खिलाफ बात करती है इस इनीशिएटिव को सपोर्ट करते हुए बनी है जानकी तो आप उनकी इनिशिएटिव को किस तरीके से देखते हैं?

सुभाष घई: हमारे प्रधानमंत्री की सोच बहुत स्वक्ष और नियत बहुत ठीक है और कर्मठ है जो करना चाहते हैं, वह करके ही रहते हैं। प्रधानमंत्री को भारत को ट्रांसफार्म करना है हमारे बच्चों का विवेक डेवलप करना चाहते हैं मैं उनका सम्मान करता हूं और उनके विजन पर गर्व है। 

सवाल: तीसरी बार उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में फिर से देखेंगे ऐसा आपको लगता है 2024 जो है उसे आप कैसे देखते हैं?

सुभाष घई: जीतेंगे या नहीं जीतेंगे, यह मैं नहीं कह सकता लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि जो उनका नेतृत्व है और जो उनका विजन है वह बहुत कमाल का है। वे इस देश के ऊपर लेकर जा रहे हैं, इतना मैं जानता हूं। 

सवाल: फिलहाल 15 अगस्त के मौके पर एक बहुत खूबसूरत सीरियल सुभाष जी की तरफ से आ रहा है जब नाम सुभाष जी का है तो आप इतना विश्वास रख सकते हैं क्योंकि उनकी सोच हमेशा सही जगह पर होती है।

सुभाष घई: एक टेलीविजन सीरियल है बहुत ज्यादा भी एक्सपेक्ट ना कीजिए की बहुत बड़ी स्क्रीन होगी यह एक सिंपल सरल कहानी है, जिस लड़की से आपको प्यार हो जाएगा जिसका नाम है जानकी, इतना मैं जानता हूं कि हमारे टेक्नीशियन ने बहुत अच्छा प्रोग्राम बनाया है। दूरदर्शन वाले भी खुश हैं, मैं भी खुश हूं, आप भी खुश होंगे।

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