Saturday, April 20, 2024
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दुनिया की आधी आबादी को है मुंह की ये बीमारियां, WHO ने कहा 350 करोड़ लोग हैं इनके शिकार

मुंह की बीमारियों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक बड़ा बयान आया है, जिसमें बताया गया है कि विश्व की आधी जनसंख्या दांतों की सड़न और मुंह के कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित है।

Pallavi Kumari Written By: Pallavi Kumari
Published on: November 25, 2022 6:59 IST
oral_health- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK oral_health

क्या आपके दांतों में सड़न है या आपको पायरिया की बीमारी है? तो, आप अकेले नहीं हैं क्योंकि दुनियाभर में आप जैसे 3.5 अरब लोग यानी 350 करोड़ लोग और भी हैं जो कि किसी ना किसी मुंह की बीमारी के शिकार हैं। ये हम नहीं बल्कि, हाल में आया विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की एक रिपोर्ट बता रही है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें तो, दुनिया की लगभग आधी आबादी या 3.5 अरब लोग मुंह से जुड़े रोगों से पीड़ित हैं, उनमें से अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लोग हैं। 

ज्यादातर लोगों में हैं मुंह की ये बीमारियां

इसी कड़ी संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने अपना बयान जारी करहते हुए कहा है सबसे आम मुंह की बीमारियों में दांतों की सड़न, गंभीर मसूड़ों की बीमारी, दांतों की कमी और मुंह के कैंसर हैं जैसे रोग शामिल हैं। इतना ही नहीं ये बीमारियां बहुत से लोगों में गंभीर है और आने वाले समय में ये और बढ़ सकता है। जिसका एक बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल। 

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 2.5 बिलियन लोगों को है लाइलाज मुंह की बीमारियां

इतना ही नहीं, ज्यादातर लोगों में यह बीमारी लाइलाज होती जा रही है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो, दुनिया के 2.5 बिलियन लोग ऐसे हैं जिनमें मुंह से जुड़े ये रोग ठीक नहीं हो सकते। इसके कारणों में डब्ल्यूएचओ ने विशेष रूप से गरीब देशों में मुंह के रोगों के उच्च प्रसार के दो कारणों के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में अत्यधिक विशिष्ट दंत चिकित्सा उपकरणों की अनुपलब्धता का हवाला दिया है। यानी कि ऑरल हेल्थ से जुड़ी सुविधाएं इन देशों में खराब है। 

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लंबे समय से ओरल हेल्थ की उपेक्षा की गई है: WHO चीफ

इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेयसस ने कहा, "वैश्विक स्वास्थ्य में लंबे समय से मौखिक स्वास्थ्य यानी ओरल हेल्थ की उपेक्षा की गई है, लेकिन कई मौखिक रोगों को रोका जा सकता है।" इसलिए उनका सुझाव है कि देश अपनी राष्ट्रीय योजना में मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल करें और मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं को अपने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल को बेहतर बनाने की कोशिश करे।

Source: The World Economic Forum (https://www.weforum.org/agenda/2022/)

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