Thursday, April 25, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: आपकी गाढ़ी कमाई को कैसे लूट सकती है क्रिप्टोकरेंसी?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में लोगों ने अब तक क्रिप्टोकरेंसी में लगभग 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी लगा दी है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: November 25, 2021 19:17 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सरकार ने बुधवार को साफ कर दिया कि वह भारत में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करके इसके व्यापार को नियंत्रित करेगी। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पेश किया जाएगा। इस विधेयक को ‘क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ नाम दिया गया है।

इस विधेयक का उद्देश्य ‘भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा बनाना’ है। लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक, ‘विधेयक में इस बात का प्रावधान है कि भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाय। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके।’ सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की व्यावहारिकता की जांच कर रहा है, और इसके लॉन्च की संभावित तारीख पर फैसला होना अभी बाकी है।

केंद्र के फैसले के बाद भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में भारी बिकवाली हुई, जिससे बिटकॉइन की कीमतें 17 प्रतिशत तक गिर गईं। एक बिटकॉइन जो पहले 44 लाख रुपये में बेचा जा रहा था, वह अचानक 38 लाख रुपये पर पहुंच गया। वहीं, एथेरियम, टेथर, कार्डानो जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें भी तेजी से गिर गईं।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है? 'क्रिप्टो' शब्द का मतलब होता है गुप्त या छिपा हुआ। चूंकि यह नोट या सिक्के की तरह भौतिक रूप में नहीं है, इसलिए कोई भी इसे देख नहीं सकता । यह एक एन्क्रिप्टेड डिजिटल फाइल है जिसमें डिजिटल कोड्स होते हैं, और इसे एक मजबूत साइबर प्रोग्राम द्वारा काफी जटिल प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। इस पूरी प्रॉसेस को डिकोड करना लगभग असंभव है। इस साइबर प्रोग्राम द्वारा जो कोड जनरेट होता है उसे करेंसी कहते हैं।

खरीददार इन ‘कॉइन्स’ की कीमत लगाते हैं, इनमें पूंजी लगाते हैं। खरीददारों की संख्या जितनी बढ़ती जाती है, इन ‘कॉइन्स’ की कीमत भी उतनी ही बढ़ती जाती है। जिसने पहले सस्ते में इन्हें खरीदा होता है वह बढ़ी हुई कीमत पर इन्हें दूसरे को बेच कर बड़ा मुनाफा कमा सकता है। अगर करेंसी की कीमत अचानक गिर गई तो खरीददार को बड़ा नुकसान भी हो सकता है। ये सब इतनी तेजी से होता है कि कुछ ही घंटों में हजारों की करेंसी की कीमत लाखों रुपये का रिटर्न दे सकती है, और कुछ ही पलों में करोड़ों के इन्वेस्टमेंट को खाक में बदल सकती है।

कुल मिलाकर यह एक तरह से ऐसे अनियंत्रित शेयर बाजार की तरह है, जिसका कोई माई-बाप न हो। जिसके बारे में किसी को ये पता न हो कि कौन इसे नियंत्रित कर रहा है। आपको नहीं पता कि आपने जो पैसा लगाया, वह कहां जा रहा है। यहां सबकुछ वर्चुअल होता है।

तकनीकी रूप से, क्रिप्टोकरेंसी बाइनरी डेटा का एक संग्रह है जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। कॉइन के मालिकाना हक का रिकॉर्ड एक बहीखाते में संग्रहीत किया जाता है। यह एक कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस होता है जो लेनदेन रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करता है। यह अतिरिक्त कॉइन्स के निर्माण को नियंत्रित करता है और कॉइन के मालिकाना हक के ट्रांसफर की भी पुष्टि करता है।

किसी एक यूजर द्वारा जारी किए जाने से पहले जब क्रिप्टोकरेंसी का निर्माण किया जाता है, तो इसे आमतौर पर केंद्रीकृत माना जाता है, लेकिन जब इसे विकेन्द्रीकृत नियंत्रण के साथ लागू किया जाता है, तो प्रत्येक क्रिप्टोकरेंसी डिस्ट्रिब्यूटेड ledger टेक्नॉलजी के जरिए काम करती है, जिसे आमतौर पर 'ब्लॉकचेन' कहा जाता है, जो कि एक पब्लिक ट्रांजैक्शन डेटाबेस की तरह काम करता है।

दुनिया की पहली विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी जो 2009 में जारी हुई थी। तब से, एथेरम, पोल्काडॉट, चेनलिंक, मूनकॉइन, शिबा इनू, रिपल, कार्डानो, स्टेलर, लाइटकॉइन, EOS, NEO, NEM आदि जैसी कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी बनाई गई हैं। आज दुनिया भर में 700 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी खरीदी या बेची जा रही हैं, जिसमें बिटकॉइन सबसे आगे है। 9 बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में 6,000 से भी ज्यादा डिजिटल कॉइन चल रहे हैं। इनकी कीमत 3,000 रुपये से लेकर 40 लाख रुपये तक है। इसलिए क्रिप्टोकरेंसी को भयंकर रूप से अस्थिर माना जाता है।

हाल ही में हुए आईपीएल और टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान आपने टीवी पर क्रिप्टोकरेंसी को प्रमोट करने वाले कई विज्ञापन देखे होंगे। लेकिन इन विज्ञापनों को अगर आपने ध्यान से देखा हो तो आखिरी में कहा जाता है कि कारोबार अपने रिस्क पर कीजिए। लेकिन चूंकि पैसा बहुत जल्दी बढ़ने का दावा किया जाता है, इसलिए लोग जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं और क्रिप्टोकरेंसी में अपनी मेहनत की कमाई को जमकर लगा रहे हैं।

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग के लिए कई क्रिप्टो एक्सचेंज मौजूद हैं। भारत में WazirX, CoinDCX, Coinswitch, Kuber और Unocoin जैसे क्रिप्टो एक्सचेंज हैं। इनके जरिए क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार होता है। ये क्रिप्टो एक्सचेंज कमीशन के आधार पर या फिर अपना कुछ मार्जिन रखकर इन क्रिप्टोकरेंसीज की डीलिंग करते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ये क्रिप्टो एक्सचेंज शेयर मार्केट की तरह न तो वैधानिक हैं और न ही पारदर्शी है।

शेयर्स के भाव चढ़ते-गिरते रहते हैं, और यदि इनके भाव ज्यादा गिर जाते हैं तो फिर सरकार इसे रेगुलेट करती है, सर्किट लगा देती है और ट्रेडिंग बंद हो जाती है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं है। कुछ ही मिनटों में लाखों रुपया शून्य पर आकर रह जाता है और कई बार कुछ मिनटों में लाखों गुना बढ़ जाता है। इसे कौन नियंत्रित कर रहा है, किस आधार पर दाम घट-बढ़ रहे हैं, इसका कोई अता-पता नहीं होता। इसका कोई नियंत्रक या नियामक नहीं है। कोई कंपनी, कोई सरकार, कोई देश इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता। ये पता ही नहीं है कि इसे बनाने वाले लोग कौन हैं, किस देश के हैं। जिस तरह इंटरनेट अब हर कंप्यूटर में है, उसी तरह ये क्रिप्टोकरेंसी अब हर देश में घूम रही है। यह एक विकेन्द्रीकृत वर्चुअल करेंसी है और इसका कोई गारंटर नहीं है।

इन क्रिप्टो कॉइन्स को जेनरेट कौन करता है? आसान भाषा में बताऊं-  ये एक तरह की अत्याधुनिक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग है। दुनिया में फिलहाल ऐसे कुछ ही लोग हैं जो कंप्यूटर पर बेहद खास एल्गोरिदम के जरिए एक-एक कंप्यूटर पर क्रिप्टो कॉइन्स को जेनरेट करते हैं। इसे ‘माइनिंग’ कहा जाता है। एक बार डिजिटल कॉइन जेनरेट हो जाने के बाद उसकी कॉपी या डुप्लिकेट बनाना लगभग असंभव है। ये कॉइन्स बेहद ही जटिल इक्वेशंस से कोडेड होते हैं, और जब कोई व्यक्ति इन कंप्यूटर इक्वेशन्स को सॉल्व करता है, तो फिर उस यूजर को इनाम के तौर पर एक कॉइन मिलता है।

जब कॉइन ट्रेड किया जाता है या बेचा जाता है तो यूजर को पता होता है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन क्रिप्टोकरेंसी को कौन बनाता है, कौन इन्हें माइन करता है, इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं। ये सबकुछ किसी गहरे राज़ की तरह है। दुनिया की सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है, और आज एक बिटकॉइन की कीमत करीब 40 लाख रुपये है। इसमें टेस्ला के मालिक एलन मस्क तक ने पूंजी लगाई है, लेकिन बिटकॉइन को किसने बनाया, ये कोई नहीं जानता। आज बिटकॉइन का बाजार पूंजीकरण (market capitalization) एक ट्रिलियन डॉलर है। प्रॉपर्टी, सोना, स्टॉक या म्यूचुअल फंड की तुलना में बिटकॉइन का रिटर्न काफी ज्यादा है। हालांकि, इसकी कीमतें किसी सेट पैटर्न पर तय नहीं होतीं।

एल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता मिली है। क्यूबा ने भी अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए इसे कानूनी मान्यता दी है। जापान में क्रिप्टोकरेंसी वैध नहीं है, लेकिन इसे 'संपत्ति' के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत है। चीन, जो कि इस समय क्रिप्टोकरेंसीज का सबसे बड़ा बाजार है, ने इस साल सितंबर में सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को अवैध घोषित कर दिया।

कई देशों में तो बिटकॉइन के लिए एटीएम तक खुल चुके हैं। 2018 में बेंगलुरु में भी क्रिप्टो कॉइन्स के लिए ATM खुला था, लेकिन बाद में इसे जब्त कर लिया गया। कई बार ऐसी खबरें भी आईं कि लोग अब क्रिप्टोकरेंसी देकर अपराधियों और आतंकियों तक को नियुक्त कर रहे हैं। बुधवार को गुजरात पुलिस ने एक चौंकानेवाला खुलासा करते हुए कहा कि कुछ लोगों ने 4 करोड़ रुपये की ड्रग्स खरीदने के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल किया था।

क्रिप्टोकरेंसी के लिए ऐसी दीवानगी क्यों है? दरअसल, यह जल्द से जल्द अमीर बनने की ललक की उपज है। इस तरह की खबरें सोशल मीडिया पर फैलती हैं कि एक व्यक्ति ने एक हजार रुपये क्रिप्टोकरेंसी में लगाए और 24 घंटे में उसका पैसा बढ़कर 28 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह एक और उड़ती फिरती खबर आई कि किसी ने 10 हजार रुपये लगाए और वह 24 घंटे में 50 करोड़ रुपये का मालिक हो गया। इसी चक्कर में क्रिप्टोकरेंसी का बोलबाला हो रहा है।

चूंकि भारत में क्रिप्टोकरेंसी वैध नहीं है, आप इससे सूई तक नहीं खरीद सकते। फिर भी एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में लोगों ने अब तक क्रिप्टोकरेंसी में लगभग 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी लगा दी है।

अब जबकि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को विनियमित करने का फैसला किया है, डिजिटल करेंसी में निवेश करने वाले अब राहत की सांस ले सकते हैं। अभी तो कोई भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाकर उसे मार्केट में उतार सकता है। लोग उसमें इन्वेस्ट कर दें और फिर क्रिप्टोकरेंसी बनाने वाला अपनी दुकान बंद करके भाग जाए तो कोई उसे नहीं पकड़ सकता। अच्छी बात यह है कि RBI खुद ट्रेडिंग के लिए अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने वाला है। RBI की डिजिटल करेंसी में निवेश करने वालों को टैक्स देना होगा। जब विधेयक कानून बन जाएगा तो क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले कम से कम उम्मीद तो कर सकते हैं कि वे धोखाधड़ी के शिकार नहीं होंगे। सरकार उन लोगों के लिए भी अपने पैसे निकालने की कोई व्यवस्था कर सकती है जिन्होंने फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है।

इन सभी आश्वासनों के बावजूद मैं आप सभी को यही सलाह दूंगा कि लालच में मत पड़िए। रातों रात करोड़पति बनने का सपना मत देखिए। याद रखिए कि हमारे देश में करोड़ों लोगों ने लालच में पड़कर चिट फंड्स और ऐसी ही संदिग्ध स्कीमों के चक्कर में अपनी मेहनत की कमाई गंवाई है। चिट फंड का कम से कम दफ्तर तो होता था जहां लोग जाकर अपने पैसे मांग सकते थे, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का न कोई बैंक है, न दफ्तर है, न कोई माई-बाप है। ये असली नोट लेकर आपको इंटरनेट पर वर्चुअल क्रिप्टो कॉइन की फोटो दे देते हैं। असली नोट देकर नकली करेंसी के चक्कर में पड़ना समझदारी नहीं है। इसलिए लालच में मत पड़ें। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 नवंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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