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RAJAT SHARMA BLOG: जितनी जल्दी ट्रिपल तलाक को खत्म किया जाए उतना बेहतर होगा

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था इसलिए सरकार के पास कानून बनाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। इसे धर्म के मामले में दखलंदाजी कैसे कहा जा सकता है?

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Dec 16, 2017 04:58 pm IST, Updated : Dec 16, 2017 05:47 pm IST
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शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मुस्लिमों में ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाले बिल को मंजूरी दे दी है। मुस्लिम महिलाओं ने इस बिल का स्वागत किया है वहीं कई मौलानाओं और मुस्लिम नेताओं ने इसका यह कहकर विरोध किया है कि सरकार को मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिेए। जो लोग ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून को मजहबी मामलों में दखलंदाजी मान रहे हैं, उन्हें शिया विद्वान मौलाना कल्बे जव्वाद की बात सुननी चाहिए जो कह रहे हैं कि ट्रिपल तलाक कुरान के खिलाफ है। दुनिया के 16 ऐसे मुस्लिम देश हैं जहां ट्रिपल तलाक गैरकानूनी है। इन देशों में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, टर्की, इजिप्ट, ईरान, इराक, मोरक्को, सूडान, UAE शामिल हैं। अब ऐसे मामले में ट्रिपल तलाक भारत में कानूनी कैसे हो सकता है? अब मौलाना कह रहे हैं कि मुसलमान इस सामाजिक बुराई को खुद दूर करेंगे। अब सवाल है कि पिछले कई दशक से यह मामला चर्चा में है लेकिन अब तक मौलानाओं ने कुछ क्यों नहीं किया? मुस्लिम महिलाओं को भी आजादी से जीने का हक है। वह हर वक्त पति से ट्रिपल तलाक के खौफ में क्यों जिएं? खाना ठीक नहीं बना तो ट्रिपल तलाक। कपड़े सही नहीं धुले तो ट्रिपल तलाक। कुछ मामलों में तो सत्तर साल की उम्र में मुस्लिम महिला को ट्रिपल तलाक दे दिया गया। इक्कीसवीं सदी में जब महिलाओं को पुरूषों के बराबर हक है तो फिर मुस्लिम महिलाओं को उससे वंचित क्यों ऱखा जाए? सबसे बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था इसलिए सरकार के पास कानून बनाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। इसे धर्म के मामले में दखलंदाजी कैसे कहा जा सकता है? सरकार की कोशिश काबिले तारीफ है, हमें इसका स्वागत करना चाहिए। अब यह कानून जितनी जल्दी लागू हो जाए उतना अच्छा रहेगा। (रजत शर्मा)

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