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'कितने बलिदान हुए, मुंडो के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा', नागपुर में बोले मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि धर्म कार्य केवल भगवान के लिए नहीं होता बल्कि धर्म का कार्य समाज के लिए होता है।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Subhash Kumar Published : Aug 06, 2025 02:11 pm IST, Updated : Aug 06, 2025 05:38 pm IST
mohan bhagwat about dharm- India TV Hindi
Image Source : PTI धर्म को लेकर मोहन भागवत का बड़ा बयान।

महाराष्ट्र के नागपुर में धर्म जागरण न्यास के प्रांत के कार्यालय के उद्घाटन पर बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि धर्म कार्य केवल भगवान के लिए नहीं होता बल्कि धर्म का कार्य समाज के लिए होता है। उन्होंने कहा कि "देश का इतिहास देखें, धर्म के लिए कितने बलिदान हुए, मुंडो के ढेर लग गए, यग्योपवित मनो से तौले गये, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा। दुनिया में ऐसी भी विचार है जो कहते हैं कि हम सबको एक होना है, तो एक सा होना पड़ेगा। हम कहते हैं कि ऐसा नहीं है, एक होने के लिए एक सा होने की जरूरत नहीं है।"

धर्म का कार्य हमेशा पवित्र रहता है- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा- "धर्म का कार्य हमेशा पवित्र रहता है, क्योंकि जिसको हम धर्म कहते हैं भारत के लोग ,वह धर्म कैसा है, वह सत्य है, आप उसको मानो या ना मानो वह है, जैसे गुरुत्वाकर्षण है, आप उसको मानो या ना मानो वह काम करेगा, उसको मान की आप चलेंगे तो आप अच्छी तरह चल सकेंगे, उसको नहीं मानना यह तय करके जाओगे तो आपको ठोकर लग जाए। क्योंकि मनुष्य के जीवन में प्रसंग आते हैं, जिसमें जो ठीक है, सही है, जो करना चाहिए, वो मालूम होकर भी हो सकता है कि वह उसके विरुद्ध जाए।"

छावा फिल्म का जिक्र

मोहन भागवत ने कहा- "संकट आता है शक्ति छिण हो जाती है, धैर्य टूट जाने के बाद, सारथी लोग थकते नहीं रुकते नहीं धर्म का अर्थ कर्तव्य भी है, मातृत्व धर्म,  पितृ धर्म है, मित्र धर्म है। धर्म का अर्थ कर्तव्य भी है, धर्म यानी कर्तव्य है, राजधर्म है, प्रजा धर्म है, पुत्र धर्म है, पितृ धर्म है, उस पर वो पक्के रहते हैं। देश का इतिहास देखें ,धर्म के लिए कितने बलिदान हुए, मुंडो के ढेर लग गए, यग्योपवित मनो से तौले गये, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा। छावा फिल्म तो आप ने भी  देखी है। हमारे लोगों ने हीं किया है, हमारे सामने वह आदर्श है, इतना वह क्यों कर पाए, अपने लोग, केवल बड़े लोग नहीं थे,सामान्य लोग भी थे, वह इसलिए कर पाए, मन मे निष्ठा थी कि हमारा धर्म सत्य पर आधारित है।"

 विविध हैं इसलिए हम अलग नहीं है- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा- "सामान्य व्यवहार में हम सब अलग-अलग दिखते हैं ,परंतु हम अलग-अलग होते नहीं है ,हम सब एक ही है, क्योंकि यह सारा अलग-अलग दिखता है, वह एकता का आविष्कार है। एकता जैसी है वैसी सामने आती है। उसका कोई गुण नहीं है, वो अपने आप को सजा के सामने लाती है तो हमको अच्छा लगता है। यह बात हमारे यहां एक सूत्र में कही गई है। ऐसा होने के कारण यह धर्म अपनापन सीखाता है और इस विविधता का पूर्ण स्वीकार करता है, सारी विविधता का हम स्वीकार करते हैं, विविध हैं इसलिए हम अलग नहीं है, यह हमारा कहना है।"

 रास्ते को लेकर  झगड़ा मत करो- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा- "दुनिया में ऐसी भी विचार है जो कहते कि हम सबको एक होना है, तो एक सा होना पड़ेगा। हम कहते हैं कि ऐसा नहीं है, एक होने के लिए एक सा होने की जरूरत नहीं है। सभी विविधता को स्वीकार करना सबके प्रति सदभावना रखना ,कहते हैं सभी के रास्ते एक ही जगह जाएंगे, रास्ते के कारण झगड़ा मत करो, दूसरे के रास्ते को जबरदस्ती बदलने की कोशिश मत करो। इसकी आवश्यकता नहीं है। रास्ता हर आदमी को मिलता है, उसकी स्थिति के अनुसार उसको मिलता है। जहां से हम चले वहां से रास्ता, रास्ते को लेकर  झगड़ा मत करो, इतना पवित्र धर्म है।"

हिंदू धर्म हिंदुओं के ध्यान में पहले आया- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा- "इस धर्म की सारे विश्व को आवश्यकता है। एक दूसरे के साथ विविधताओं को ठीक से सहेज कर, कैसे रहना ये मालूम नहीं दुनिया को। इसलिए दुनिया में इतने संघर्ष चल रहे हैं। दुनिया में पर्यावरण खराब हो रहा, यह सब हो रहा है। यह जो हमारा हिंदू धर्म है, वास्तव में हिंदुओं के ध्यान में पहले आया। उन्होंने आज तक उसको अपने आचरण में बचा कर रखा, इसलिए हिंदू धर्म कहलाता है। नहीं तो सृष्टि धर्म है, विश्व धर्म है, मानव धर्म है, उस धर्म की श्रद्धा का पूर्ण जागरण प्रत्येक के हृदय में हो, और ऐसा होने के बाद भी परिस्थितियों के कारण धैर्य चुकना ये मनुष्य के लिए संभव नहीं है।परिस्थितियां होगी तब भी समाज का पीठ पर हाथ हो, इस धर्म को जो पवित्र है, सत्य है, सारी दुनिया के लिए आवश्यक है, किसी की बपौती नहीं है, मानव धर्म है, उसको हिंदू धर्म कहा जाता है।"

मोहन भागवत ने कहा- "निष्ठा, श्रद्धा, कम ना हो ,साथ बनाकर, साथी बनकर, उस निष्ठा को कायम रखना यह काम करना पड़ता है, यह काम हुआ तो धर्म जागरण हुआ, धर्म जागरण हुआ जो दुनिया को चाहिए, वह मानव धर्म कैसा है, क्या है, हिंदू धर्म उसको आचरण करने वाला समूह रहेगा। ग्रंथों की बात नहीं रहेगी, अनुमान की बात नहीं रहेगी, प्रत्यक्ष जीवन दिखेगा। इस धर्म का आचरण करते हैं, व्यक्तिगत रूप से पारिवारिक रूप से, समाज के नाते, राष्ट्र के नाते, यह लोग अच्छा जी रहे हैं, दुनिया में अच्छा कर रहे हैं, समाज में अच्छा कर रहे हैं। ऐसा मॉडल चाहिए तब लोग सीखेंगे, मॉडल पैदा करना भारत मे हमारा काम है।  हम अपने आप को इस धर्म का मानते हैं, इसलिए धर्म जागरण का काम चलता है।"

धर्म कार्य केवल भगवान के लिए नहीं होता- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा- "धर्म कार्य केवल भगवान के लिए नहीं होता। धर्म का कार्य समाज के लिए होता है, समाज को धारण करता है वो धर्म है। धर्म ठीक रहा तो समाज ठीक रहेगा, समाज में शांति रहेगी, कलह नहीं होंगे ,विषमता नहीं रहेगी। सही धर्म का अर्थ समझकर यदि समाज चलता है तो भला होता है।"

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