भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भारत लौट चुके हैं। इस बीच उन्होंने पृथ्वी विज्ञान और अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात की। इस दौरान इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन भी वहां मौजूद थे। तीनों ने इस दौरान एक सामूहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के संबोधित किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, "अंतरिक्ष में किए गए प्रयोगों से न केवल अंतरिक्ष में लाभ होगा, बल्कि पृथ्वी पर भी उनकी प्रतिकृतियां होंगी। ये प्रयोग एक भारतीय द्वारा किए गए थे, लेकिन इनका लाभ पूरी मानव जाति को होगा। हमने अब विश्व बंधु भारत का पहला उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसकी बात प्रधानमंत्री जी करते हैं।"
जितेंद्र सिंह ने कही ये बात
पृथ्वी विज्ञान और अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, "अंतरिक्ष विभाग लगभग 70 वर्षों से अस्तित्व में है, और आधिकारिक तौर पर ISRO की स्थापना 1969 में हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में हमने दुनिया के बाकी हिस्सों द्वारा अपनाई गई रणनीतियों का पालन करना शुरू कर दिया है। हमारे मानक, रणनीति और पैरामीटर वैश्विक हैं। यह पूरी कहानी पहली बार 2018 में कहीं शुरू हुई थी। स्वतंत्रता दिवस कुछ ही हफ्तों में होने वाला था। हम सभी ने फैसला किया और एक-दूसरे से मौन रहने का वादा किया ताकि हम लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा कर सकें। आप जानते हैं कि जब पीएम खुद घोषणा करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है। वह पहला महत्वपूर्ण अवसर था जब हमने 2018 के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री को राष्ट्र के सामने यह घोषणा करते हुए सुना कि अब हम एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार हैं।"
शुभांशु बोले- भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है
इस दौरान Axiom-4 मिशन पर गए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, "भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है। जय हिंद, जय भारत। यह मिशन बेहद सफल रहा है। हम अपने सभी तकनीकी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं। ऐसे मिशन के क्रियान्वयन से बहुत सी ऐसी जानकारी मिलती है जिसे मापा या दर्ज नहीं किया जा सकता।" शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने का फायदा सिर्फ प्रशिक्षण से कहीं ज़्यादा है। वहां रहकर हमें जो अतिरिक्त ज्ञान मिलता है, वह अमूल्य है। पिछले एक साल में मैंने जो भी जानकारी इकट्ठा की है, वह हमारे अपने मिशनों, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होगी। बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल से, अपने रॉकेट से और अपनी धरती से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे। यह अनुभव जमीन पर सीखे गए अनुभव से बहुत अलग होता है। शरीर कई बदलावों से गुजरता है। अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल जाता है।"
क्या बोले इसरो के अध्यक्ष
इसके अलावा ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, दक्षिण एशियाई उपग्रह का निर्माण किया गया, उसे प्रक्षेपित किया गया और दक्षिण एशियाई देशों को दान कर दिया गया। उनके नेतृत्व में, हमने G20 देशों के लिए G20 उपग्रह भी तैयार किया है। 10 साल पहले, अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे पास केवल एक स्टार्टअप कंपनी थी। आज, अंतरिक्ष उद्योग में हमारे पास 300 से अधिक स्टार्टअप हैं। GSLV-F16 रॉकेट ने 30 जुलाई को सबसे प्रतिष्ठित NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार को सटीक रूप से स्थापित किया। अगले 2-3 महीनों में हम यूएसए का 6500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉन्च करेंगे, जिसे हमारे प्रक्षेपण वाहन का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा।"