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ये खराब आदतें मेंटल हेल्थ को कर देती हैं पूरी तरह बर्बाद, लोग हो जाते हैं डिप्रेशन के शिकार

लोग अक्सर अपनी मानसिक सेहत से समझौता कर लेते हैं, जो हमें डिप्रेशन नाम की खाई में धकेल सकता है। आइए जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं जो आपकी मानसिक सेहत को और भी खराब कर सकती हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Jul 04, 2025 05:04 pm IST, Updated : Jul 04, 2025 05:04 pm IST
मानसिक सेहत - India TV Hindi
Image Source : AI मानसिक सेहत

आजकल की तेज़-तर्रार दुनिया में सफल होने का दबाव इतना ज़्यादा है कि लोग अक्सर ये भूल जाते हैं कि इसका असर हमारे दिमाग पर पड़ता है। कामयाबी पाने की चाहत में लोग अक्सर अपनी मानसिक सेहत (मेंटल हेल्थ) से समझौता कर लेते हैं, जो हमें डिप्रेशन नाम की खाई में धकेल सकता है। आइए जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं जो आपकी मानसिक सेहत को और भी खराब कर सकती हैं।

ये आदतें मेंटल हेल्थ को कर देती हैं खराब

  • काम को दूसरे दिन के लिए टालना: क्या आप अक्सर काम टालते रहते हैं, जिससे आपका काम रुक जाता है? क्या आप कोई काम आसानी से शुरू कर देते हैं, लेकिन उसे पूरा करना बहुत मुश्किल लगता है? अगर ऐसा है, तो इसका मतलब है कि आपकी मानसिक स्पष्टता कम हो रही है। ये सिर्फ़ खराब समय-प्रबंधन नहीं है, बल्कि अक्सर दिमाग पर ज़्यादा बोझ होने की वजह से होता है।

  • बार-बार सोशल मीडिया चेक करना: अगर आप भी बार-बार अपना सोशल मीडिया चेक करते हैं, तो ये आपके दिमाग के लिए हेल्दी साइन नहीं है। ये डिजिटल बेचैनी सिर्फ़ ध्यान भटकाने से ज़्यादा है - ये मानसिक बेचैनी का बहुत बड़ा लक्षण है। इसका मतलब है कि आपका दिमाग दिए गए काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा है क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित और थका हुआ है। लगातार ऐप्स या टैब के बीच स्विच करना एक सामान्य आदत लग सकती है, लेकिन ये आपकी मानसिक ऊर्जा को चुपचाप खत्म कर देता है।

  • काम के प्रति उत्साह खो देना: एक समय था जब आप अपने काम या लक्ष्यों को लेकर उत्साहित महसूस करते थे, लेकिन अब सब कुछ नीरस, लगता है। ये एक साफ़ संकेत है कि आपके अंदर के स्वयं को रीबूट करने की ज़रूरत है। जब आप मानसिक रूप से कमज़ोर होते हैं, तो दिमाग उत्साहित होने के लिए संघर्ष करता है।

  • नकारात्मक बातचीत: लगातार खुद की आलोचना करना, अपनी कमियों पर ध्यान केंद्रित करना और नकारात्मक सोचना आत्मविश्वास को कम करता है और डिप्रेशन व चिंता को बढ़ावा देता है।

  • शारीरिक गतिविधि की कमी: व्यायाम न करने से एंडोर्फिन (जो खुशी और शांति महसूस कराते हैं) कम बनते हैं। निष्क्रिय जीवनशैली सुस्ती, कम प्रेरणा और डिप्रेशन के बढ़ते जोखिम से जुड़ी है.

  • नींद की कमी: पर्याप्त और अच्छी नींद न लेना आपके मूड, ऊर्जा स्तर और सोचने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकता है। देर रात तक जागना या अनियमित नींद का शेड्यूल तनाव, चिंता और डिप्रेशन को बढ़ा सकता है।

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