मणिपुर में विपक्षी दल कांग्रेस ने सोमवार को नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर कीं। राज्य में, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) से दो महीने पहले संबंध तोड़ने के बावजूद भाजपा नीत सरकार को समर्थन देने को लेकर इन विधायकों के खिलाफ ये याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ता के वकील एन बुपेंडा मेइती ने बताया कि कांग्रेस की मणिपुर इकाई के उपाध्यक्ष हरेश्वर गोस्वामी ने राज्य विधानसभा के ‘स्पीकर के ट्रिब्यूनल’ में विधायकों के खिलाफ चार अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल ने राज्य में भाजपा नीत सरकार को समर्थन देने को लेकर एनपीपी के चार विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की है। वे मुख्यमंत्री द्वारा सत्तारूढ़ दल के विधायकों की बुलाई गई बैठक में शामिल हुए थे।’’ इन चार विधायकों में मायांगलम्बम रामेश्वर सिंह, थोंगम शांति सिंह, इरेंगबाम नलिनी देवी और जंगहेमलुंग पनमेई शामिल हैं।
समर्थन वापस लेने के बावजूद बैठक में पहुंचे
मेइती ने कहा कि एनपीपी के विधायक बैठक में शामिल हुए, जबकि एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के मेघचंद्र मामले का हवाला देते हुए उन्होंने (गोस्वामी ने) विश्वास जताया कि विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता याचिकाओं का शीघ्रता से निस्तारण करेंगे।’’ एनपीपी ने पिछले साल 17 नवंबर को हिंसा प्रभावित मणिपुर में भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और दावा किया था कि एन बीरेन सिंह सरकार पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘संकट का हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है।’’
सदन में एनपीपी के छह विधायक
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक थे, और समर्थन वापस लेने से सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि 32 विधायकों के साथ भाजपा को सदन में पूर्ण बहुमत प्राप्त है। एनपीपी मणिपुर प्रमुख एवं विधायक एन कायिसी का लंबी बीमारी के बाद 18 जनवरी को निधन हो गया, जिससे सदन में वर्तमान में पार्टी के छह विधायक रह गए हैं। (पीटीआई-भाषा)