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मेघालय की इस 'जेल' में खाने के देने होते हैं पैसे, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

मेघालय के सोहरा में 140 साल पुराने पुलिस थाने को ‘सोहरा 1885’ नाम के कैफे में बदला गया है। यह कैफे ऐतिहासिक जेलों को डाइनिंग रूम में तब्दील करता है और पुलिस कल्याण के लिए आय प्रदान करता है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jun 04, 2025 05:39 pm IST, Updated : Jun 04, 2025 05:39 pm IST
Sohra 1885 cafe, Meghalaya historic police station cafe- India TV Hindi
Image Source : PTI सोहरा कैफे में जेलों को डाइनिंग रूम में बदला गया है।

सोहरा: मेघालय के सोहरा में 140 साल पुराने पुलिस थाने को एक खूबसूरत कैफे में बदल दिया गया है। यह इलाका अपनी भारी बारिश के लिए मशहूर है। अब इस कैफे में मेहमानों को लज़ीज़ खाना परोसा जा रहा है। साल 1885 में बना सोहरा पुलिस थाना मेघालय की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। ब्रिटिश दौर में इसे एक बदनाम हवालात के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब इसे ‘सोहरा 1885’ नाम का कैफे बना दिया गया है, जो खाने के शौकीनों और सैलानियों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन गया है।

क्या होता है कैफे से होने वाली कमाई का?

इस कैफे में इतिहास और मेहमाननवाजी का अनोखा मेल देखने को मिलता है। मेहमान ‘कैफे 1885’ में पुरानी जेलों को ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील करके अपने मनपसंद खाने का मजा ले सकते हैं। कैफे से होने वाली कमाई को पुलिस कल्याण के लिए दान कर दिया जाता है। इस पुलिस थाने को कैफे में बदलने का आइडिया ईस्ट खासी हिल्स के SP विवेक सईम ने दिया था, जो उस वक्त सोहरा में DSP के तौर पर तैनात थे। मेघालय पुलिस के बड़े अधिकारियों ने उनके इस नायाब ख्याल का पूरा समर्थन किया।

DSP रहते हुए आया था यह विचार

सईम ने कहा, ‘मैं इस ऐतिहासिक पुलिस थाने के साथ हमेशा से कुछ अलग करना चाहता था। राज्य में ऐसी बहुत कम इमारतें बची हैं, जो इतिहास में खास स्थान रखती हैं। मैंने सोहरा पुलिस थाने को कैफे में बदलने का विचार तब दिया था, जब मैं इलाके में DSP था। मुझे पता था कि यह इमारत बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करेगी।’ मेघालय सरकार ने 2 साल पहले सोहरा में ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती के लिए नया थाना बनाने की शुरुआत की थी। तब पुरानी इमारत से आर्थिक फायदा उठाने के लिए इसे कैफे में बदलने की कोशिशें तेज हो गईं।

Sohra 1885 cafe, Meghalaya historic police station cafe

Image Source : PTI
थाने वाले कैफे की बिल्डिंग बेहद खूबसूरत लगती है।

किसने जीता ऐतिहासिक कैफे का टेंडर?

सईम ने कहा, ‘थाने को कैफे में बदलने का मतलब था पुलिस बल के लिए अतिरिक्त आय, जिसका इस्तेमाल पुलिस कल्याण के लिए किया जा सकता था।’ उन्होंने बताया कि कैफे चलाने के लिए साझेदार चुनने की निविदा प्रक्रिया दो साल पहले शुरू हुई थी। सईम के मुताबिक, युवा उद्यमी नफी नोनग्रम को कैफे चलाने के लिए चुना गया। नफी ने इमारत की बनावट के हिसाब से इसका डिजाइन तैयार किया और इसे ‘सोहरा 1885’ नाम दिया।

‘जेलों को डाइनिंग रूम में बदला गया’

नफी ने ब्रिटिश दौर की चीजों का इस्तेमाल करके पुलिस थाने को एक शानदार कैफे का रूप दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने जेलों को ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील किया। यहां आने वालों को कैफे का लुक और माहौल काफी अच्छा लगता है।’ सईम ने बताया कि नफी ने इमारत की दीवारों और फर्श में कोई बदलाव नहीं किया, क्योंकि ये आज भी बहुत अच्छी हालत में हैं। उन्होंने बताया कि थाने में मौजूद पुरानी अंगीठी की मरम्मत करके उसे उसके असली रूप में ढाला गया। 

एक साथ कितने लोग खा सकते हैं खाना?

नफी ने बताया कि कैफे में एक साथ 200 लोग अपने मनपसंद खाने का लुत्फ उठा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कैफे में 200 किलोग्राम की एक पुरानी तिजोरी को भी रंगरोगन करके सजाया गया है, जो सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है। ‘सोहरा 1885’ का उद्घाटन 22 मई को हुआ था। तब से बड़ी तादाद में सैलानी और स्थानीय लोग यहां आ रहे हैं। एक मेहमान बत्स्केम थबाह ने कहा, ‘यह कैफे वाकई बहुत खूबसूरत है। हमें ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील की गई जेल में खाना खाकर काफी मजा आया।’

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