Sunday, December 14, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. राजस्थान
  3. पुजारी को इंसानियत दिखाना पड़ा भारी, इलाज कराने लाए साधु की मौत के बाद मिला खुद के नाम का शव

पुजारी को इंसानियत दिखाना पड़ा भारी, इलाज कराने लाए साधु की मौत के बाद मिला खुद के नाम का शव

बालाजी मंदिर के पुजारी चेतनगिरी के पास 8 फरवरी को दिल्ली के नजफगढ़ निवासी साधु कुलदीप ब्राह्मण आकर ठहरा था। 12 फरवरी को उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, तो पुजारी उसे इलाज के लिए बिसाऊ और फिर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल ले गया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Feb 26, 2025 10:49 am IST, Updated : Feb 26, 2025 10:49 am IST
priest - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV पुजारी चेतनगिरी

इंसानियत का फर्ज निभाने के लिए एक पुजारी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के धनूरी थाना क्षेत्र के कांट गांव में एक साधु की मौत के बाद अजीबोगरीब स्थिति बन गई। बीमार साधु का इलाज कराने के लिए पुजारी ने अपना आधार कार्ड दिया था, लेकिन जब साधु की मौत हो गई तो अस्पताल ने उसी पुजारी के नाम पर दर्ज शव उसे सौंप दिया।

क्या है पूरा मामला?

गांव के बालाजी मंदिर के पुजारी चेतनगिरी (चतरूराम मीणा) के पास 8 फरवरी को दिल्ली के नजफगढ़ निवासी साधु कुलदीप (42) पुत्र मुरारीलाल ब्राह्मण आकर ठहरा था। 12 फरवरी को उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, तो पुजारी उसे इलाज के लिए बिसाऊ और फिर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल ले गया। अस्पताल में रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड मांगा गया, लेकिन साधु के पास कोई पहचान पत्र नहीं था ऐसे में पुजारी ने अपने आधार कार्ड से उसका इलाज शुरू कराया।

22 फरवरी को साधु की तबीयत और बिगड़ गई, जिसके बाद उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। चूंकि अस्पताल के रिकॉर्ड में मरीज का नाम पुजारी चेतनगिरी था, इसलिए मौत का आधिकारिक रिकॉर्ड भी उसी के नाम से दर्ज हो गया।

जब जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया!

पुजारी 23 फरवरी को साधु कुलदीप का शव लेकर अपने गांव बिरमी पहुंचा, जहां अंतिम संस्कार करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने विरोध कर दिया। जब पुलिस ने दस्तावेज मांगे, तो पता चला कि सरकारी रिकॉर्ड में पुजारी चतरूराम की ही मृत्यु हो चुकी है, जबकि वह खुद जिंदा था।

इसके बाद पुलिस ने साधु की शिनाख्त के लिए जांच शुरू की। साधु की जेब में एक पर्ची मिली, जिसमें कुछ मोबाइल नंबर लिखे थे। पुलिस ने उन नंबरों पर कॉल किया, जिससे साधु की पहचान नजफगढ़, दिल्ली के कुलदीप (42) पुत्र मुरारीलाल ब्राह्मण के रूप में हुई। इसके बाद कुलदीप के भाई मदनगोपाल को सूचना दी, जो 26 फरवरी को झुंझुनूं पहुंचा और शव की शिनाख्त की।

शव लेकर भटकता रहा पुजारी

जब पुजारी ने कुलदीप का अंतिम संस्कार करवाने की कोशिश की, तो गांववालों ने मना कर दिया। ऐसे में वह शव लेकर कुलदीप के गांव नजफगढ़, दिल्ली चला गया, लेकिन वहां भी उसका घर नहीं मिला। अंततः परेशान होकर वह बालाजी मंदिर, कांट लौट आया और पुलिस को घटना की जानकारी दी।

15 साल से थी जान-पहचान

पुजारी चेतनगिरी ने बताया कि उसकी कुलदीप से 15 साल पहले गुरुग्राम के एक आश्रम में जान-पहचान हुई थी। कुलदीप पहले भी कई बार कांट गांव आ चुका था, इसलिए जब वह बीमार हुआ तो पुजारी ने उसे इंसानियत के नाते अपना आधार कार्ड देकर भर्ती कराया, लेकिन इससे उसे भारी परेशानी उठानी पड़ी। पुजारी चेतनगिरी ने कहा कि मैंने सिर्फ इंसानियत के नाते कुलदीप का इलाज करवाया, लेकिन मेरी ही मौत का रिकॉर्ड बना दिया गया। इससे मैं बहुत परेशान हूं।

वहीं, इस पूरे मामले को लेकर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के पीएमओ राजवीर राव ने बताया कि कुलदीप के परिवार से दस्तावेज लेकर अब उसके नाम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

(रिपोर्ट- अमित शर्मा)

यह भी पढ़ें-

VIDEO: मां-बाप नहीं...पत्नी छोड़ दी, 15 सालों से जंजीरों में कैद है ये शख्स, बहन ने प्रशासन से लगाई गुहार

जयपुर में रेव पार्टी पर पुलिस का एक्शन, नशे की हालत में मिले 150 लड़के-लड़कियां; सैकड़ों बोतल बीयर बरामद

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें राजस्थान सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement