Thursday, May 09, 2024
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Chhath Puja 2022: कब शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व छठ, जानें छठ व्रत की तिथि, नियम और महत्व

Chhath Puja 2022: चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत दीपावली के 6 दिन के बाद से शुरू होता है। इसमें सूर्य देव और छठी माता की पूजा का विशेष महत्व होता है। जानते हैं इस साल कब होगी छठ पूजा।

Vineeta Mandal Edited By: Vineeta Mandal
Updated on: October 26, 2022 15:45 IST
Chhath puja 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Chhath puja 2022

Highlights

  • इस साल छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ हो रही है
  • छठ संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है
  • छठ व्रत में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं

Chhath 2022: दीपावली के बाद से ही छठ पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती है। दिवाली के 6 दिन बाद छठ महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड जैसे राज्यों में इस पर्व की धूम देखने को मिलती है। केवल भारत नहीं बल्कि छठ महापर्व की लोकप्रियता आज देश-विदेश तक देखने को मिलती है। छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में एक होता है। इसमें पूरे चार दिनों तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है और व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर 2022 से नहाए खाय के साथ हो रही है। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। जानते हैं चार दिवसीय छठ पर्व से जुड़ी विशेषता व महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में।

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कब है छठ पूजा (Chhath Puja date 2022)

  • पहला दिन- नहाय खाय (28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार)
  • दूसरा दिन- खरना (29 अक्टूबर 2022, शनिवार)
  • तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (30 अक्टूबर 2022, रविवार)
  • आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (31 अक्टूबर 2022, सोमवार)

छठ पूजा के नियम (Chhath Puja Niyam )

छठ पूजा के नियम पूरे चार दिनों तक चलते हैं। जोकि इस प्रकार से है-

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि से निवृत होने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। इसे नहाय खाय भी कहा जाता है। इस दिन कद्दू भात का प्रसाद खाया जाता है

कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन नदी या तालाब में पूजाकर भगवान सूर्य की उपासना करें। संध्या में खरना करें। खरना में खीर और बिना नमक की पूरी आदि को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। खरना के बाद निर्जल व्रत शुरू हो जाता है।

कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भी व्रती उपवास रहती है और शाम नें किसी नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि को रखकर दिया जाता है।

कार्तिक शुक्ल सप्तमी की भोर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती व्रत का पारण करती हैं।

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छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Significance)

छठ पर्व श्रद्धा और आस्था से जुड़ा होता है। जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है। छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना हेतु किया जाता है। मान्यता है कि आप इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन करेंगे छठी मईया आपसे उतनी ही प्रसन्न होंगी।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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