Saturday, April 27, 2024
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पाकिस्तानी सेना के इस जनरल के बदल गए दिन, मिली थी 14 साल की सजा; 4 साल में ही छूट गए

Pakistan Defence News: दूसरे देशों के लिए जासूसी करने के आरोप में जेल की सजा काट रहे पाकिस्तानी सेना के जनरल को नए सैन्य नेतृत्व ने माफ कर दिया है। लिहाजा 4 साल बाद पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल को रिहा कर दिया गया है। ले. जनरल सेवानिवृत्त जावेद इकबाल को विदेशी जासूसों के साथ 'वर्गीकृत जानकारी' साझा करने का दोषी पाया था।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 09, 2023 14:54 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतीकात्मक फोटो

Pakistan Defence News: दूसरे देशों के लिए जासूसी करने के आरोप में जेल की सजा काट रहे पाकिस्तानी सेना के जनरल को नए सैन्य नेतृत्व ने माफ कर दिया है। लिहाजा 4 साल बाद पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल को रिहा कर दिया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त जावेद इकबाल को विदेशी जासूसों के साथ 'वर्गीकृत जानकारी' साझा करने का दोषी पाया गया था। अब उन्हें बीते 29 दिसंबर, 2022 को रावलपिंडी की अदियाला जेल से आजाद कर दिया गया है। नए सैन्य नेतृत्व ने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद उनके मामले की समीक्षा की और उनके वकील ओमर फारूक एडम के अनुसार, पिछले आदेश द्वारा उनके साथ किए गए अन्याय को महसूस किया।

14 साल की सुनाई गई थी सजा

जनरल इकबाल को 30 मई, 2019 को 'जासूसी/राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रही विदेशी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी साझा करने' के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (एफजीसीएम) द्वारा 14 साल के सश्रम कारावास (पाकिस्तान में एक आजीवन कारावास) की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अंतत: चार साल बाद उन्हें जेल से बाहर करने का फैसला सुनाया गया। हालांकि जनरल को 29 मई 2023 को रिहा किया जाना था, लेकिन नए सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने उनकी जल्द रिहाई का मार्ग प्रशस्त करते हुए सजा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया।

एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन मामले में किया था जांच का नेतृत्व
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जासूसी से संबंधित आरोपों और सजा पर जनरल इकबाल की सजा एक तीन-सितारा सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी के लिए लगभग अभूतपूर्व थी और किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भी जिसने प्रमुख पदों पर काम किया हो, जिसमें सैन्य संचालन के महानिदेशक, एडजुटेंट-जनरल और कोर कमांडर शामिल थे। उन्होंने 2011 में एबटाबाद में अमेरिकी विशेष बलों के छापे में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की सेना की आंतरिक जांच का भी नेतृत्व किया था। सजा की घोषणा करते समय सेना ने न तो यह खुलासा किया था कि उन्होंने कथित तौर पर विदेशी जासूसों को कौन से रहस्य बताए थे, न ही विदेशी एजेंसी की पहचान की थी।

अमेरिका से था विशेष जुड़ाव
अमेरिकियों के साथ जनरल इकबाल का विशेष जुड़ाव था, जिसने अंतत: उन्हें परेशानी में डाल दिया। सेवानिवृत्ति के बाद अमेरिका की यात्रा के दौरान गेमिंग कंपनी टेक-2 के रयान केसलर ने उनसे संपर्क किया और 2016 में वो एक सलाहकार के रूप में जुड़ गए। कराची बंदरगाह के माध्यम से परमाणु सामग्री की तस्करी के प्रयास को विफल करते हुए अमेरिकी सेना को दिखाने की योजना पर आपत्ति जताने के बाद उनकी भागीदारी समाप्त हो गई। उन पर आरोप है कि वह दो अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आए, जिनमें से एक हार्वर्ड समूह से था और एक व्यक्ति जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय के लिए काम करता था। जांच के बाद, जनरल इकबाल पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और सेना अधिनियम, 1952 की धारा 59 के तहत आरोप लगाए गए और उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की गई थी।

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