Tuesday, March 19, 2024
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FATF से पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका, जून 2021 तक ‘ग्रे’ लिस्ट में ही रहना होगा

पाकिस्तान संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुटा हुआ था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 25, 2021 23:28 IST
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Image Source : AP REPRESENTATIONAL फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में ही रखने का फैसला किया गया है।

पेरिस: फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में ही रखने का फैसला किया गया है। FATF की बैठक में पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों पर जून 2021 तक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए आने वाले वक्त में भी राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। बता दें कि पहले ही संभावना जताई जा रही थी कि पाकिस्तान FATF की 'ग्रे' लिस्ट से पाकिस्तान के जून तक बाहर निकलना मुश्किल है। पाकिस्तान संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुटा हुआ था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

जानें, ग्रे लिस्ट में शामिल होते हैं कौन से देश

पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी। ग्रे सूची में शामिल देश वे होते हैं जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज़्यादा होता है, लेकिन ये देश FATF के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं। FATF ने पिछले साल अक्टूबर में अपनी बैठक में निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक इस सूची में बना रहेगा क्योंकि वह 6 प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है। इनमें भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों, मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर
बता दें कि इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी बुरी स्थिति में है। यहां तक कि उसे कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में FATF की ग्रे लिस्ट में बने रहने से कुछ खास सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है, बल्कि इसमें गिरावट ही आने की संभावना है। पाकिस्तान की अधिकांश मदद चीन या फिर आईएमएफ जैसे संस्थानों से कर्ज के जरिए मिल रही है। वहीं, अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो जाता है तो उसे वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी और यूरोपियन यूनियन से आगे कर्ज नहीं मिल सकता। ऐसे में पाकिस्तान के दिवालिया होने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।

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