पंचमहल (गुजरात): मुस्लिम धर्म का त्योहार "बकरा ईद" (ईद-उल-जुहा) 7 जून को मनाया जाने वाला है। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी बैठकों का दौर जारी है। इस त्योहार के अवसर पर कुछ विशेष प्रकार के पशुओं की कुर्बानी दी जाती है, जिसके लिए सार्वजनिक या निजी स्थान, मोहल्ले या गली में किसी भी पशु का वध करने से अन्य धर्मों-समुदायों के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने तथा शांति भंग होने की संभावना रहती है।
पंचमहल के ADM ने जारी की अधिसूचना
बकरा ईद के अवसर पर पंचमहल जिले में बड़ी मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज के लिए भारी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने या जुलूस निकालने की संभावना है। ऐसे में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने तथा जन भावनाओं को ठेस न पहुंचाने के लिए पंचमहल के ADM जे.जे. पटेल ने कुछ कार्यों पर रोक लगाने संबंधी अधिसूचना जारी की है।
क्या है पाबंदियां?
- इस अधिसूचना में किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक या निजी स्थानों, सड़कों या मोहल्लों में किसी भी पशु का वध करने तथा किसी भी पशु को सजाकर अकेले या जुलूस के रूप में सार्वजनिक रूप से ले जाने पर रोक लगाई गई है।
- जिस व्यक्ति या संस्था ने सक्षम प्राधिकारी से बूचड़खाना चलाने की अनुमति ली है, उसे अपने द्वारा वध किए गए पशु के मांस, हड्डियों और अवशेषों को सार्वजनिक रूप से फेंकने पर रोक लगाई गई है।
- यह अधिसूचना पंचमहल जिले के संपूर्ण क्षेत्र में 4 जून 2025 से 12 जून 2025 तक लागू रहेगी। इस अधिसूचना का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति दंड का भागी होगा। उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
किस देश में इस बार नहीं होगी कुर्बानी?
वहीं, आपको बता दें कि अफ्रीकी देश मोरक्को ने इस बार बकरा ईद से पहले मुसलामानों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। बताया जा रहा है कि राजा मोहम्मद VI ने देश में पड़े भीषण सूखे को देखते हुए यह फैसला लिया है। मोरक्को एक मुस्लिम देश है, यहां की 99 फीसदी आबादी मुस्लिम है। ऐसे में यहां कुर्बानी पर रोक से काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। साथ ही इस फैसले से धार्मिक बहस भी छिड़ गई है कि क्या सरकार या राजा को धार्मिक अनुष्ठान रोकने का अधिकार है।
(रिपोर्ट- दक्षेस शाह)