Friday, April 26, 2024
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पाकिस्तानी आतंकी अली बाबर ने कहा- इंडियन आर्मी का व्यवहार अच्छा, झूठ फैला रही है ISI

सेना ने 26 सितंबर को उरी में मुठभेड़ के दौरान अली बाबर पात्रा को पकड़ा था और उस समय वह अपनी जान की भीख मांग रहा था।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 29, 2021 21:47 IST
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Image Source : PTI पाकिस्तानी आतंकवादी अली बाबर पात्रा ने सीमापार स्थित अपने आकाओं से कहा है कि उसे उसकी मां के पास पहुंचा दिया जाए।

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में हुई मुठभेड़ के दौरान सेना द्वारा पकड़े गए एक पाकिस्तानी आतंकवादी ने सीमापार स्थित अपने आकाओं से कहा है कि उसे उसकी मां के पास पहुंचा दिया जाए। पाकिस्तानी आतंकवादी किशोर अली बाबर पात्रा ने सेना द्वारा बुधवार को श्रीनगर में जारी किए गए एक वीडियो संदेश में कहा, ‘मैं लश्कर ए तैयबा के एरिया कमांडर, आईएसआई और पाकिस्तानी सेना से अपील करता हूं कि वे मुझे उसी तरह मेरी मां के पास वापस भेज दें जैसे उन्होंने मुझे यहां (भारत) भेजा।’

अपनी जान की भीख मांग रहा था अली बाबर

सेना ने 26 सितंबर को उरी में मुठभेड़ के दौरान अली बाबर पात्रा को पकड़ा था। उस समय वह अपनी जान की भीख मांग रहा था। सेना का अभियान 18 सितंबर को शुरू हुआ था और 9 दिन तक चला था जिसमें एक अन्य पाकिस्तानी घुसपैठिया मारा गया था। वीडियो संदेश में पात्रा ने कहा कि पाकिस्तानी सेना, ISI और लश्कर-ए-तैयबा कश्मीर के बारे में झूठ फैला रहे हैं। उसने कहा, ‘हमें बताया गया कि भारतीय सेना खून बहा रही है लेकिन यहां सब शांतिपूर्ण है। मैं अपनी मां को बताना चाहता हूं कि भारतीय सेना ने मेरे साथ अच्छा बर्ताव किया।’

भारतीय सेना का व्यवहार बहुत अच्छा है’
पात्रा ने यह भी कहा कि उसे जिस शिविर में रखा गया वहां आने वाले स्थानीय लोगों के साथ भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों का व्यवहार बहुत अच्छा था। उसने कहा, ‘मैं दिन में 5 बार होने वाली अजान सुनता हूं। भारतीय सेना का व्यवहार पाकिस्तानी फौज के एकदम विपरीत है। मुझे लगता है कि कश्मीर में शांति है। इसके उलट वे पाकिस्तानी कश्मीर में हमारे बेसहारा होने का फायदा उठाते हैं और यहां भेजते हैं।’ खुद के आंतकी समूह में शामिल होने के बारे में बताते हुए पात्रा ने कहा कि उसके पिता की 7 साल पहले मौत हो गई थी और पैसों की कमी के चलते उसे स्कूल छोड़ना पड़ा था।

‘ISI ने दी थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग’
पात्रा ने कहा, ‘मैंने सियालकोट की एक कपड़े की फैक्टरी में नौकरी की जहां मैं अनस से मिला जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों की भर्ती करता था। मेरी हालत के कारण मैं उसके साथ चला गया। उसने मुझे 20 हजार रुपये दिए और बाद में 30 हजार और देने का वादा किया।’ पात्रा ने यह भी बताया कि खैबर देलीहबीबुल्ला शिविर में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने उसे किस तरह के हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया।

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