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Rajat Sharma’s Blog: क्या KCR सचमुच अंधविश्वास और परिवारवाद में यकीन रखते हैं?

KCR को यकीन है कि ‘इमाम-ए-ज़ामिन’ उनकी रक्षा करता है और वह जिस काम से जाते हैं, वह पूरा हो जाता है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : May 27, 2022 19:06 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) को टोना-टोटका और '6' नंबर को लकी मानने के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने अपने ज्योतिषी की सलाह पर पिछले 5 साल से राज्य के सचिवालय में कदम नहीं रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए KCR पर परिवारवाद की राजनीति  करने और अंधविश्वास के आधार पर फैसले लेने के लिए निशाना साधा।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री बनने के बाद से सचिवालय नहीं गए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस भवन का वास्तु उनके लिए ठीक नहीं है। उन्होंने 2016 में 50 करोड़ की लागत से घर पर ही एक वास्तुसम्मत कार्यालय बनवाया। उन्होंने सचिवालय में कभी कदम नहीं रखा जबकि उनके मंत्री और नौकरशाह वहीं से काम करते हैं। उन्होंने बेगमपेट में अपने कैंप ऑफिस की मरम्मत कराई और इसे 5 मंजिल ऊंचा और 6 ब्लॉक्स तक बढ़ा दिया। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, KCR का मानना है कि ‘शासक को ऐसी जगह से काम करना चाहिए जो दूसरों की तुलना में ज्यादा ऊंचाई पर हो।’

KCR ने एक नया सचिवालय बनवाने की कोशिश की लेकिन उन्हें जनता का विरोध झेलना पड़ा। वह नए सचिवालय के निर्माण के लिए सेना की जमीन का अधिग्रहण करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने पूरे सचिवालय को वास्तुसम्मत बनाने के लिए उसकी मरम्मत करवानी शुरू कर दी। पिछले 5 साल से KCR सचिवालय की बजाय अपने सरकारी आवास से काम कर रहे हैं।

लोगों को लगता है कि चंद्रशेखर राव 6 को अपने लिए लकी अंक मानते हैं, इसीलिए उनके काफिले में जितनी गाड़ियां होती हैं, उनका नंबर या तो 6 है या सभी अंकों का जोड़ 6 है। चंद्रशेखर राव कोई भी काम मुहूर्त देखे बिना नहीं करते। मुहूर्त में भी इस बात का ख्याल रखा जाता है कि टाइम ऐसा हो, जिसका जोड़ 6 हो। जब वह पहली बार CM बने तो उन्होंने दोपहर 12:57 मिनट पर शपथ ली, जिसके अंकों का जोड़ 6 होता है। एक बार वह महबूब नगर जिला गए तो वहां 51 बकरों की बलि चढ़ाई गई। लोगों का दावा है कि 51 बकरों की बलि इसीलिए चढ़ाई गई क्योंकि इसका जोड़ भी 6 होता है। चंद्रशेखर राव जो कमेटियां बनाते हैं, उनके सदस्यों की संख्या भी इस तरह रखते हैं जिसके अंकों का जोड़ 6 हो। शायद यही वजह है कि उन्होंने किसानों के लिए जो को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाई उसमें 15 सदस्य रखे। उनकी पार्टी की जिला समिति में 24 सदस्य हैं, राज्य स्तरीय समिति में 42 सदस्य हैं और इन सबका जोड़ 6 है।

तेलंगाना के सियासी जानकारों के मुताबिक, KCR हैदराबाद की मशहूर हुसैन सागर झील कभी नहीं जाते, क्योंकि कहा जाता है कि हुसैन सागर झील जाने के बाद ही एनटी रामाराव से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी छिन गई थी।

 
अपनी जनसभा में KCR पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा, 'आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के इस युग में .. अभी भी, 21वीं सदी में भी, जो लोग अंधविश्वास के गुलाम बने हुए हैं, वो अपने अंधविश्वास में किसी का भी नुकसान कर सकते हैं। ये अंधविश्वासी लोग तेलंगाना के सामर्थ्य के साथ कभी न्याय नहीं कर सकते। मुझे याद है जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, तो वहां भी कुछ शहरों की पहचान बना दी गई थी कि उस शहर में कोई मुख्यमंत्री जा नहीं सकता है। अगर वहां जाएगा तो उसकी कुर्सी चली जाएगी। मैं डंके की चोट पर वहीं पर जाता था, बार-बार जाता था।'

मोदी ने कहा- 'मैं विज्ञान …टेक्नोलॉजी में विश्वास करता हूं। मैं तो आज तेलंगाना की इस धरती से उत्तर प्रदेश के हमारे मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी को भी बधाई देता हूं। वो तो संत परंपरा से हैं, सन्यासी परंपरा से हैं। उनके कपड़े और भेषभूषा देखकर के कोई भी बात मान लेगा। जब उनके सामने आया कि फलानी जगह पर नहीं जाना है, ढिकानी जगह पर नहीं जाना चाहिए। योगी जी ने कहा, मैं विज्ञान में विश्वास करता हूं, वे चले गए और दोबारा जीतकर मुख्यमंत्री बने।' मोदी ने कहा, 'अंधविश्वास को इस प्रकार से तवज्जो देने वाले लोग, उसके भविष्य को कभी संवार नहीं सकते हैं। ऐसे अंधविश्वासी लोगों से हमारे तेलंगाना को हमें बचाना है।.. अंधविश्वासी लोग कभी तेलंगाना के सामर्थ्य के साथ न्याय नहीं कर सकते। कुछ लोग हैं जो अंधविश्वास पर भरोसा करते हुए कुछ जगहों पर नहीं जाते।'

मोदी ने आरोप लगाया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘परिवारवाद और परिवारवादी पार्टियां, देश के लोकतंत्र और देश के युवा, दोनों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। देश ने देखा है, तेलंगाना के लोग देख रहे हैं कि एक परिवार को समर्पित पार्टियां जब सत्ता में आती हैं तो कैसे उस परिवार के सदस्य भ्रष्टाचार, उसका सबसे बड़ा चेहरा बन जाते हैं। तेलंगाना के लोग देख रहे हैं कि परिवारवादी पार्टियां किस तरह सिर्फ अपना विकास करती हैं, अपने परिवार के सदस्यों की तिजोरियां भरती हैं। इन परिवारवादी पार्टियों को गरीब के दर्द की, गरीब की तकलीफों की, न उनको कोई चिंता नहीं होती है, न परवाह होती है।’

मोदी ने कहा, 'इनकी राजनीति सिर्फ इस बात पर केंद्रित होती है कि एक परिवार लगातार किसी भी तरह सत्ता पर कब्जा करके लूट सके तो लूटता रहे। इसके लिए, ये लोग समाज को बांटने की साजिशें रचतें हैं, जनता के विकास में उनकी कोई रूची नहीं होती है। पिछड़ेपन, समाज पीछे रहे उसी में उनका भला देखते हैं। परिवारवाद की वजह से देश के युवाओं को, देश की प्रतिभाओं को राजनीति में आने का अवसर भी नहीं मिलता। परिवारवाद उनके हर सपनों को कुचलता है, उनके लिए हर दरवाजे बंद करता है। इसलिए, आज 21वीं सदी के भारत के लिए परिवारवाद से मुक्ति, परिवारवादी पार्टियों से मुक्ति एक संकल्प भी है, और एक नैतिक आंदोलन भी है। जहां जहां परिवारवादी पार्टियां हटी हैं, वहां वहां विकास के रास्ते भी खुले हैं।'

मोदी परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ पूरे अधिकार से बोल सकते हैं। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति से दूर रखा है। लोग उनके भाइयों, भतीजों या अन्य करीबी रिश्तेदारों के नाम भी नहीं जानते हैं। न ही मोदी के रिश्तेदार उनके पद का कोई फायदा उठा सके। वंशवाद की राजनीति के मुद्दे पर कोई भी मोदी को नहीं घेर सकता। इसके उलट भारत में जितनी क्षेत्रीय पार्टियां हैं, वे ज्यादातर परिवारवाद की शिकार हैं। वे चाहें लालू प्रसाद यादव हों, मुलायम सिंह यादव हों, ओम प्रकाश चौटाला हों, प्रकाश सिंह बादल हों, एम करुणानिधि हों, एच डी देवेगौड़ा हों, उद्धव ठाकरे हों या डॉ फारूक अब्दुल्ला हों।

KCR ने अपने परिवार के कई सदस्यों को विधायक, सांसद या मंत्री बनाया है। KCR खुद मुख्यमंत्री हैं, उनके बेटे KTR (के.टी.राम राव) तेलंगाना राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और अपने पिता के मंत्रिमंडल में ताकतवर मंत्री भी हैं। KCR की बेटी के. कविता सांसद थीं। वह पिछला चुनाव हार गईं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें MLC बना दिया और उन्हें जल्द ही मंत्री भी बनाया जा सकता है। KCR के भतीजे टी. हरीश राव भी उनकी सरकार में मंत्री हैं। KCR के एक और भतीजे जोगिनापल्ली संतोष कुमार सांसद हैं। केसीआर ने उन्हें राज्यसभा में भेजा है। इसलिए उनके परिवार के 5 लोग तो अब महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। अब चर्चा यह है कि KCR अपने एक और भतीजे वामसी को सक्रिय राजनीति में लाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अंधविश्वास के चलते वामसी को राजनीति में ला रहे हैं। लोगों का कहना है कि KCR 6 नंबर को लकी मानते हैं, इसलिए वह '6' तक पहुंचने के लिए परिवार के एक और सदस्य को सियासत में लाना चाहते हैं।

KCR कई बार पीएम नरेंद्र मोदी से सीधे तौर पर मिलने से बचने की कोशिश कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि ऐसा वह ज्योतिषियों की सलाह की वजह से कर रहे हैं। जब भी मोदी तेलंगाना के दौरे पर जाते हैं, तो KCR कोई न कोई बहाना बनाकर तेलंगाना से बाहर चले जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह ऐसी किसी भी मुलाकात को अपने लिए 'अनलकी' मानते हैं। जब मोदी इस साल फरवरी में 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी के उद्घाटन के लिए तेलंगाना गए थे, तब KCR बीमारी की बात कहकर एयरपोर्ट पर पीएम का स्वागत करने नहीं पहुंचे थे। गुरुवार को जब मोदी हैदराबाद पहुंचे, KCR उससे 3 घंटे पहले ही एच. डी. देवेगौड़ा और उनके बेटे से मिलने बेंगलुरु के लिए रवाना हो चुके थे। वहां उनका कोई सरकारी काम भी नहीं था। KCR ने मोदी की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए बेंगलुरु में कहा, ‘भाषणबाजी और वादों के अलावा हकीकत क्या है। उद्योग बंद हो रहे हैं, जीडीपी नीचे जा रही है, महंगाई मुंह उठा रही है और रुपया बुरी तरह गिर गया है। आज कोई खुश नहीं है, चाहे किसान हों, दलित हों, आदिवासी हों। राष्ट्रीय स्तर पर जल्द ही बदलाव होगा। 2-3 महीने बाद आपको सनसनीखेज खबर मिलेगी।’

आपने वीडियो में देखा होगा कि KCR जब एच. डी. देवगौड़ा और उनके बेटे की मौजूदगी में मीडिया से बात कर रहे थे तो उनकी बाजू पर एक चमकीला कपड़ा बंता हुआ था। मुझे इसके बारे में पता चला कि चंद्रशेखर राव जब भी किसी विशेष मिशन पर जाते हैं, या किसी जरूरी मीटिंग में जाते हैं तो इस तरह का बाजूबंद उनकी बांह पर होता है। यह बाजूबंद केसीआर की सरकार में होम मिनिस्टर महमूद अली उन्हें देते हैं। इस बाजूबंद को ‘इमाम-ए-ज़ामिन’ कहा जाता है। KCR को यकीन है कि ‘इमाम-ए-ज़ामिन’ उनकी रक्षा करता है और वह जिस काम से जाते हैं, वह पूरा हो जाता है।

KCR केंद्र में जिस ‘बदलाव’ की बात कर रहे हैं उसके बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है। KCR ने भविष्यवाणी की थी कि देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे, औऱ वह बन भी गए। लेकिन उन्होंने यह भविष्यवाणी नहीं की थी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कुमारस्वामी बार-बार रोएंगे, इसके बाद बगावत होगी और उनकी सरकार चली जाएगी। जबकि ऐसा ही हुआ था। KCR ने यह भी नहीं बताया कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह की बातें बोली थीं, देवगौड़ा और दूसरे नेताओं से मिलने के बाद मोदी को मात देने का ऐलान किया था। लेकिन क्या हुआ, पूरी दुनिया ने देखा।

मोदी ने गुरुवार को हैदराबाद में जो भी कहा, साफ कहा: जो करना है कर लो, जितनी ताकत लगानी है लगा लो, जो टोने-टोटके करने हैं कर लो, लेकिन बीजेपी के उखाड़ नहीं पाओगे। बीजेपी ने पिछले 8 सालों में जनता के दिल में जगह बना ली है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 26 मई, 2022 का पूरा एपिसोड

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