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हुआ खुलासा कि आखिर क्यों चिप्स के पैकेट्स में भरी होती है इतनी हवा? वजह है बहुत ही रोचक

हमारे दिमाग में यहीं आता है कि इसमें इतने भी चिप्स क्यों रखें है इसके बदले भी हवा भर देते है। हम यहीं सोचते है कि आखिर हमें हवा भरा हुआ पैकेट क्यों दिया जाता है। इसकी वजह बहुत ही रोचक है। जानिए क्या है वो।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : Jul 19, 2018 08:09 am IST, Updated : Jul 19, 2018 08:09 am IST
Chips- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Chips

नई दिल्ली: चिप्स या नमकीन के पैकेट्स हमेशा फूले हुए होते है जबकि उसमें अंदर मौजूद सामग्री बहुत ही कम होती है। फिर हमारे दिमाग में यहीं आता है कि इसमें इतने भी चिप्स क्यों रखें है इसके बदले भी हवा भर देते है। हम यहीं सोचते है कि आखिर हमें हवा भरा हुआ पैकेट क्यों दिया जाता है। इसकी वजह बहुत ही रोचक है। जानिए क्या है वो।

कहीं आप ये बात तो नहीं मानते है कि पैकेट्स में ऑक्सीजन गैस भरी होती है। अगर हां तो समझ लें कि आप गलत है। इसमें नाइट्रोजन गैस भरी होती है। जानिए इसका क्या है कारण? पैकेट्स में नाइट्रोजन गैस भरने की 3 वजह सामने आईं है।

पहला कारण

चिप्स या कोई और चीज जो कि पॉलीथीन में दी जाती है। उन्हें टूटने से बचाने के लिए अधिक गैस भरी जाती है। जिससे कि वह टूटे नहीं है। इसीलिए कई ऐसी कंपनिया है जो पैकेट्स के बदले टीन या फिर प्लास्टिक के डब्बें में में चिप्स भरकर बेच रही हैं।

दूसरा कारण
यह कारण थोड़ा वैज्ञानिक है। जिससे आप जरुर मानेंगे। इस थ्योरी के अनुसार ऑक्सी बहुत ही रिएक्टिव गैस होती है। ये किसी भी चीज के मॉलिक्यूल यानी कणों के साथ बहुत जल्दी घुल जाती है। फिर वो चाहे खाने की चीजें हों या धातु की कोई भी चीज। ऑक्सीजन के रिएक्टिव होने की वजह से ही बैक्टीरिया वगैरह इसमें पनप पाते हैं और यही कारण है कि अगर खाने की कोई चीज़ ज्यादा वक्त तक खुले में रखी रहे, तो वो खराब हो जाती है। इसी कारण पैकेट्स में ऑक्सी के बदले नाइट्रोजन गैस भरी जाती है। जिससे कि आपके चिप्स सीलते नहीं है। 1994 में हुए एक शोध ये दावा भी करती है कि नाइट्रोजन स्नैक्स को लंबे समय तक क्रिस्पी बनाए रखती है।

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तीसरा कारण
यह थोड़ी मार्केट को लेकर कारण है। अपनी चीज को कम देकर अधिक दाम वसूलना। कस्टमर्स के दिमाग में ये बात बैठा दी जाती है कि जिस पैकेट में जितनी हवा होगी उसमें चिप्स या अन्य चीज भी उतनी ही अधिक निकलेगी। किसी भ्रम को लेकर हम ज्यादा फूला हुआ पैकेट लेने की कोशिस करते है।

भारत के किस प्रॉडक्ट में कितनी हवा होती है
Eattreat नाम की एक वेबसाइट ने एक एक्सपेरिमेंट किया भारत में 25 रुपए से कम में बिकने वाले स्नैक्स के पैकेट पर। उन्होंने पाया कि Lay’s के एक पैकेट में 85% नाइट्रोजन होती है। अंकल चिप्स के एक पैकेट में 75% नाइट्रोजन होती है। बिंगो मैड एंगल्स के एक पैकेट में 75% नाइट्रोजन होती है। हल्दीराम टकाटक के एक पैकेट में 30% नाइट्रोजन होती है। लहर कुरकुरे के एक पैकेट में 25% नाइट्रोजन होती है।

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क्या कोई कानून भी है?
अमेरिका में 1966 में फेयर एड लेबलिंग नाम का एक एक्ट पारित किया। जिसमें यह बात कही गई है कि प्रोडक्ट में कितनी क्या चीज है। उसके बारें में बताया जाएं। लेकिन खाने के मामले में कोई इतना ध्यान नहीं देता है।

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