हैदराबाद: तेलंगाना के मुलुगु जिले में शनिवार को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई, जब नक्सल संगठन CPI (माओवादी) के 8 सदस्यों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। इनमें एक डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM) और महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले 2 एरिया कमेटी मेंबर (ACM) शामिल हैं। मुलुगु जिले के पुलिस अधीक्षक शाबरिश पी. के सामने इन माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। पुलिस के मुताबिक, इस साल जनवरी से अब तक तेलंगाना में कुल 355 माओवादियों ने सरेंडर किया है, जिनमें से 68 ने मुलुगु जिले में हथियार डाले।
अब परिवार के साथ जी सकेंगे शांतिपूर्ण जीवन
तेलंगाना सरकार की ओर से सरेंडर करने वाले माओवादियों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं ने इन लोगों को नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। इन योजनाओं के तहत उन्हें रोजगार, शिक्षा और परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का मौका दिया जा रहा है। पिछले कुछ समय में जिस तरह सरकार की नीतियों से आकर्षित होकर माओवादियों ने हथियार डाले हैं, यह कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ ही समय में भारत से इस विकराल समस्या का अंत हो जाएगा।
कैसे टूटती गई माओवादियों की कमर?
बता दें कि एक समय था जब माओवाद ने देश के कई हिस्सों में विकराल रूप धारण कर लिया था। लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकारों की ठोस नीतियों, खासकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियानों ने माओवाद की कमर तोड़ दी है। अमित शाह ने माओवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सुरक्षा बलों को मजबूत किया और आत्मसमर्पण की नीति को बढ़ावा दिया। उन्होंने न सिर्फ माओवादियों पर नकेल कसने को प्राथमिकता दी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों को गति देकर आदिवासी और ग्रामीण समुदायों का भरोसा जीता, जिसके चलते माओवादियों का जनाधार कमजोर होता गया।
पुलिस ने ग्रामीणों को क्या हिदायत दी?
पुलिस ने तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर माओवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए स्थानीय लोगों से सहयोग मांगा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सीमा से सटे गांवों के लोगों को नक्सलियों का साथ न देने और उनकी मौजूदगी की सूचना तुरंत पुलिस को देने की हिदायत दी गई है। तेलंगाना पुलिस और सरकार की कोशिशों से माओवादियों का आत्मसमर्पण इस बात का सबूत है कि अब लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर अमन और तरक्की की राह चुन रहे हैं।



