प्रिंसिपल ने शनिवार को पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि एक व्यक्ति ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है। मदिकेरी जूनियर कॉलेज के प्रिंसिपल विजय की शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस ने मामले की जांच शुरू की है।
कॉलेज प्रबंधन, विकास समिति ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की जिद करने वाली छात्राओं को उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के बारे में समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नहीं सुना और हिजाब पहनने के लिए दबाव डाला। इसलिए, उन्हें अस्थायी रूप से कॉलेज से निलंबित कर दिया गया है।
कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश और राज्य सरकार के आदेश के अनुसार हिजाब और भगवा शॉल के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कर्नाटक का हिजाब विवाद कई दिनों से देश भर में छाया हुआ है। इस मामले पर हर पार्टी के नेता प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वहीं, हिजाब प्रकरण का असर अब उत्तर प्रदेश में भी दिखने लगा है।
अलीगढ़ की छात्राओं ने कहा कि ‘हिजाब पहनना हमारा राइट है। हमारा हक कोई नहीं छीन सकता। हमारे इस्लाम में दिया गया है कि हम हिजाब पहनें। हम खुद को ढंक सके ताकि दुनिया की गंदी नज़र से खुद को बचा सकें।’
इस सर्वे में महिलाओं के सिर ढंकने, नकाब लगाने या बुर्का पहनने जैसे विषय को भी शामिल किया था। सर्वे की रिपोर्ट वर्ष 2021 में पब्लिश हुई थी।
देशभर में हिजाब को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी बीच भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान आया है। उन्होंने कहा कि हिंदू इतना श्रेष्ठ, इतना संस्कारी और उच्च विचारधारा का होता है कि उसे कहीं भी हिजाब पहनने की जरूरत नहीं होती है।
बोम्मई ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि उसका आदेश उन्हीं संस्थानों में लागू होगा जहां पर ड्रेस कोड है।
हिजाब विवाद पर योगी ने कहा, घर में कौन क्या पहनता है, बाजार में कौन क्या पहन के जा रहा है, ये उनका अपना विषय है।
आज कोर्ट में हिजाब का पक्ष लेने वाले वकील का ज्यादा जोर इस बात पर था कि हाई कोर्ट अपना अंतरिम आदेश वापस ले ले।
ज्ञानेंद्र ने चेतावनी देते हुए कहा, अदालत के आदेश का पालन करना और संविधान का सम्मान करना इस देश के नागरिकों की जिम्मेदारी है।
प्रिंसिपल ने मुस्लिम छात्राओं से हिजाब हटाने को कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया। विजयपुरा में प्रिंसिपल से छात्राओं ने बहस भी की।
कॉलेजों को खोलने का फैसला कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत लिया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत में मुद्दों को संवैधानिक ढांचे और तंत्र के साथ-साथ लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के अनुसार हल किया जाता है।
पिछले सप्ताह कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में सभी छात्रों को भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब या कोई भी अन्य धार्मिक निशान पहनकर कक्षा में आने पर रोक लगा दी थी।
देश हिजाब जैसे विवाद से आगे निकल चुका है लेकिन अपने सियासी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है और लोग अपने-अपने ढंग से मतलब निकाल रहे हैं।
आरोप है कि गुरुग्राम साइबर सिटी में महिला ने पहले कैब ड्राइबर पर चाकुओं से हमला किया और फिर महिला पुलिसकर्मी से भी हाथापाई का प्रयास किया। फिलहाल पता नहीं चल पाया है कि वह कहां की रहने वाली है।
ओवैसी ने लिखा, 'मोदी सरकार ने फैसले को प्रवासी भारतीयों के हित में बताते हुए उसका स्वागत किया था। अगर आयरलैंड के लिए ये 'ऐतिहासिक' था तो कर्नाटक की बच्चियों से तकलीफ क्यूँ? उनकी प्रतिष्ठा (Dignity) की धज्जियां क्यूँ उड़ाई जा रही हैं?'
इस बीच कर्नाटक में 10वीं तक के स्कूल सोमवार को फिर से खुल गए। हालांकि, इस दौरान उडुपी, दक्षिण कन्नड़ तथा बेंगलुरु के संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू रही।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के स्कूलों में सभी स्कूली बच्चे एक ही तरह के ड्रेस पहनते हैं। उन्होंने कहा कि देश-दुनिया में कोई बात होती है, वह एक अलग बात है, बिहार में ऐसी कोई बात नहीं है। हमलोग तो काम करने में लगे हुए हैं। सबके लिए हमलोग काम करते हैं और सबकी इज्जत करते हैं।
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