अजीज ने कहा कि अब वो बुरे दिन को याद नहीं करना चाहते। अब चाहे जो हो जाए वह राज्य से बाहर नहीं जाना चाहते। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने गांव, घर, परिवार को छोड़कर नहीं जाना चाहता। यहां सरकार अगर रोजगार के साधन उपलब्ध करा दे, तो कोई क्यों जाए?
मौत किस बहाने से अपने आगोश में ले ले, कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही एक दुखद हादसा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सामने आया है।
बिहार सरकार ने आज ये साफ कर दिया है कि सरकार दूसरे राज्यों में फंसे बिहारियों को वापस लाने का इंतजाम करने के लिये गाड़ियां उनके राज्य तक नहीं बल्कि अपने राज्य के बॉर्डर तक भेजेगी।
लॉकडाउन के कारण फंसे और किसी तरह अपना गुजारा कर रहे 23 वर्षीय आमिर सोहेल को अब बस घर जाना है, अपने बेटे को गले लगाना है और घर के आंगन में चारपाई डालकर सुख से सोना है, अब उसका मन नहीं लग रहा है।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि बिहार में बसों की सीमित उपलब्धता है और प्रवासी मजदूरों की जितनी संख्या विभिन्न राज्यों में हैं, उससे सड़क मार्ग से उन्हें लाने में महीनों लग सकता है।
उन्होंने कहा कि अकेले लुधियाना में सात लाख से अधिक प्रवासी मजदूर हैं, जबकि पूरे पंजाब में दस लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं।
केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने और विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को रिसीव करने या उन्हें भेजने के लिए एक मानक प्रोटोकॉल बनाने के लिए कहा है।
लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे उत्तर प्रदेश के कामगारों और मजदूरों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भावुक अपील की है।
गुजरात के सूरत जिले में मंगलवार को अपने घर भेजने की मांग करते हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए और उन्होंने एक इलाके में निर्माणाधीन एक इमारत में तोड़फोड़ की तथा कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
कोरोना संकट के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार युद्धस्तर पर प्रयास कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अनाज राज्य के लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि भूख किसी लिंग, धर्म या राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा नहीं होता है।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में जारी लॉकडाउन के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के मजूदरों का वापस लाने का फैसला लिया है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को केन्द्र सरकार से अपील की कि जिस तरह कोटा से छात्रों को भेजने का प्रबंध किया, ठीक उसी तरह प्रवासी मजदूरों को भी उनके घरों तक भेजा जाए ।
देश में जारी लॉकडाउन के बीच अपना रोजगार खो चुके मजदूरों की अपनों से जा मिलने की आस पूरी करने की पहाड़ सी जद्दोजहद का सिलसिला जारी है। ताजा मामला बलरामपुर का है, जहां सात श्रमिक 700 किलोमीटर पैदल चलकर सोमवार को अपने घर पहुंचे।
बिहार सरकार जहां इस संकट के दौर में रोजगार के लिए बाहर गए लोगों को उसी राज्य में हरसंभव मदद देने का दावा कर रही है, वहीं इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और जद (यू) के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।
यह समूह तब तक यहां रुकेगा जब तक कि दोनों राज्यों के बीच लोगों की आवाजाही शुरू न हो जाए।
ट्रेन के डिब्बे में बैठा कोरोना वायरस से संक्रमित एक मजदूर कोच के अंदर बैठे अधिकांश मजदूरों में इसे फैला सकता है। यहां तक कि अगर मजदूर अपने ठिकाने पर पहुंच भी जाते हैं, तो वे वायरस के एक सुपर स्प्रेडर के रूप में अपने गांवों और कस्बों में मौजूद रहेंगे जहां शायद ही डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवाएं मौजूद हों। सरकार स्पेशल ट्रेनें चलाकर हजारों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शहर में रह रहे प्रवासी मजदूरों और लोगों से अपील की है कि वो किसी भी अफवाह पर भरोसा न करें। केजरीवाल ने कहा कि कुछ लोग अफवाह फैलाएंगे। उनकी बातों में न आएं।
सूरत में बंद के बीच घर जाने की इजाजत नहीं मिलने से नाराज प्रवासी मजदूरों द्वारा तोड़फोड़ और ठेलों में आग लगाए जाने के बाद पुलिस ने उनमें से करीब 80 लोगों को हिरासत में ले लिया।
मंत्रायल ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग हल्के से मध्यम श्वसन रोग का अनुभव करते हैं और किसी विशेष उपचार की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाते हैं।
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