शिवकुमार शर्मा ‘काकाजी’ ने कहा था कि पराली जलाने पर सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है लेकिन सजा के प्रावधान को हटाने का आश्वासन दिया गया था।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के बाद राकेश टिकैत ने चुनाव के माहौल पर बात की।
राकेश टिकैत ने कहा कि हिंदुत्व का प्रमाणपत्र देने का ठेका भाजपा के पास नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अब मुज़फ्फरनगर मॉडल नहीं चलेगा। इस चुनाव में तरह-तरह की बातें हो रही है, जनता सब देख रही है। जनता किसी के बहकावे में नहीं आने वाली।’’
टिकैत ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने, फसल बीमा योजना, फसल खरीद योजना और कृषि अवसंरचना कोष के लिए आवंटन को घटा दिया है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत सरकार ने दिल्ली में जो भी वादा किया है उसे पूरा करें। हम चुनाव से अलग हैं हमारा एक मत है हम भी किसी को दे देंगे। मैं किसी का समर्थन नहीं कर रहा। जनता सरकार से ख़ुश होगी तो उन्हें वोट देगी, नाराज़ होगी तो किसी और को वोट देगी।
किसानों के मुद्दों की बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार 1967 को आधार वर्ष मानकर फसलों के भाव तय कर दे और फसलों की खरीद की गारंटी दे ।
किसान नेता Rakesh Tikait को India TV के कॉन्क्लेव Chunav Manch में बुलाया गया था। यहां उन्होंने कई अहम मुद्दों को लेकर चर्चा की, लेकिन अचानक वह बिना कोई सवाल किए ही भड़क उठे।
UP election में Rakesh Tikait ने India TV के Chunav Manch 2022 में कहा कि फसल सरकार खरीदती है, चुनाव आयोग नहीं खरीदता। किसान के मुद्दों पर टिकैत बोले-1968 को आधार वर्ष मानकर फसलों के भाव तय कर दो। हमारा यही कहना है कि फसलों के वाजिब दाम सरकार दे दे। टिकैत ने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को सरकार लागू कर दे, तो आज भी भाव गेहूं का 3 हजार रुपए क्विंटल हो जाएगा।
BJP प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं, 'राकेश टिकैत जी का स्पष्ट निर्देश है कि मैं गैर राजनीतिक संगठन हूं। सभी किसान फ्री हैं और वह किसी को भी वोट दे सकते हैं। अभी तक तो मैंने उनके बारे में कुछ ऐसा ही पढ़ा है।'
उन्होंने कहा कि लोगों को सरकारी मंच के नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयानों से सावधान रहना चाहिए। हालांकि मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि कौन सी पार्टी अगली सरकार बनाएगी, लेकिन लोग निश्चित रूप से ऐसे लोगों को वोट नहीं देंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहां पर 3-4 दिन के लिए जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाक़ात करेंगे। जो किसान जेल में है, हम उनसे भी मिलेंगे।
उत्तर प्रदेश में शिवसेना चुनाव लड़ने जा रही है। संजय राउत ने कल कहा था कि वे यूपी में बड़ा राजनीति बदलाव करने वाले हैं। इसके बाद आज उनकी मुलाकात किसान नेता राकेश टिकैत के साथ होने वाली है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का अपना पक्ष है। कल किसानों का हर जगह प्रदर्शन था लेकिन रास्ता रोकने का कोई कार्यक्रम नहीं था। किसान प्रधानमंत्री का काफिला रोकने के लिए नहीं बैठे थे वह बस इत्तेफाक था। इस पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए।
राकेश टिकैत ने कहा कि हर वर्ष 26 जनवरी को किसानों का ‘ट्रैक्टर मार्च’ निकाला जाएगा। टिकैत ने चरखी दादरी में कहा कि खाप समाज का आईना हैं और इनका गौरवशाली इतिहास रहा है।
हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को वो फिर से केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासन की समीक्षा करेंगे। यदि केंद्र वादे पर खड़ा नहीं उतरती है तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।
किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। केंद्र की सहमति के बाद 15 जनवरी को किसानों की फिर समीक्षा बैठक होगी।
SKM ने कहा, "सरकार के ताजा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है। अब सरकार के लेटरहेड पर औपचारिक संवाद का इंतजार है। गुरुवार दोपहर 12 बजे फिर से सिंघू बॉर्डर पर बैठक होगी।"
सरकार से बातचीत के लिए नियुक्त 5 किसान नेताओं की बुधवार को बैठक होगी।इसी में आंदोलन को खत्म करने या आगे की रणनीति पर फैसला लिया जा सकता है।
PM Modi के ऐलान के बाद सदन से कृषि कानून को वापस लिया जा चुका है लेकिन, किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिवार को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
राकेश टिकैत ने शनिवार को अपने एक ट्वीट में लिखा- हमने आंदोलन की शुरुआत में आगाह किया था कि अगला नंबर बैंकों का होगा। नतीजा देखिए, 6 दिसंबर को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है। निजीकरण के खिलाफ देशभर में साझा आंदोलन की जरूरत है।'
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