Sunday, April 28, 2024
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रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध सेना का अभियान ‘जातिसंहार’ जैसा: UN अधिकारी

म्यांमार में मानवाधिकार विषयक संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने गुरुवार को कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध सेना के हिंसक अभियान में ‘जातिसंहार’ की झलक मिलती है...

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 01, 2018 15:56 IST
Representational Image | AP Photo- India TV Hindi
Representational Image | AP Photo

स्योल: म्यांमार में मानवाधिकार विषयक संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने गुरुवार को कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध सेना के हिंसक अभियान में ‘जातिसंहार’ की झलक मिलती है। यांगी ली ने स्योल में पत्रकारों से कहा कि जब तक कोई भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण या अदालत सबूतों को परख नहीं लेता तब तक हम निश्चित तौर पर नरसंहार की घोषणा नहीं कर सकते लेकिन ‘हमें संकेत नजर आ रहा है और वह उस दिशा में बढ़ रहा है।’ गौरतलब है कि म्यांमार रोहिंग्या उग्रवादियों के हमले के बाद सेना की हिंसक जवाबी कार्रवाई की पूरी दुनिया में आलोचना होती रही है।

यांगी ली की ब्रीफिंग में रोहिंग्या के मुद्दे पर बांग्लादेश और अन्य क्षेत्रों में शरणार्थी शिविरों में उनकी हाल की यात्रा का ब्योरा था। म्यांमार में रोहिंग्या उग्रवादियों के खिलाफ 25 अगस्त को सैन्य अभियान शुरु होने के बाद करीब 700,000 रोहिंग्या अपने गांवों से पलायन कर बांग्लादेश चले गए। म्यामांर की सरकार ने यांगी को देश में प्रवेश नहीं करने दिया। म्यामांर के गांव गु डार प्यीन में कम से कम पांच सामूहिक कब्रों पर एपी की बृहस्पतिवार की खबर पर एक प्रश्न के उत्तर में यांगी ने कहा कि उनके पास गांव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी तो नहीं है लेकिन आप उसका एक पैटर्न देख सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी खबरों की तहकीकात हो तथा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को रखाइन प्रांत तक जाने दिया जाए। उन्होंने म्यांमार की कार्रवाई को ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ जैसा करार दिया। यांगी स्योल में ही रहती हैं। आपको बता दें कि रोहिंग्याओं की वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश की सरकार के बीच समझौता हुआ है लेकिन रोहिंग्या अभी भी हिंसा के डर से अपने देश वापस नहीं जाना चाहते।

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