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पुणे ब्रिज हादसा: हरकत में महाराष्ट्र सरकार, पुल को लेकर जारी किए गए ये आदेश

पुणे पुल हादसे के बाद महाराष्ट्र सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी 25 साल से पुराने पुलों और इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश दिया है।

Reported By : Dinesh Mourya Edited By : Malaika Imam Published : Jun 17, 2025 11:06 pm IST, Updated : Jun 18, 2025 12:01 am IST
पुणे ब्रिज हादसे की तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : PTI पुणे ब्रिज हादसे की तस्वीर

महाराष्ट्र के पुणे में हुए पुल हादसे के बाद महाराष्ट्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) के अंतर्गत आने वाले सभी 25 साल से पुराने पुलों और इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश दिया है। यह फैसला मंगलवार को हुई PWD विभाग की एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद लिया गया। इस बैठक में पीडब्ल्यूडी विभाग के तहत आने वाले सभी पुलों और इमारतों की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया गया।

बैठक के बाद सरकार ने ये आदेश दिए

  • पुल और इमारतों का स्ट्रक्चल ऑडिट कर रिपोर्ट तत्काल सरकार को पेश किया जाए।
  • अगर कोई पुल जर्जर हालत में है, तो उस पर तत्काल यातायात बंद करने और लोगों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।
  • जर्जर पुलों के आसपास स्थायी स्वरूप की बैरिकेडिंग की जाएगी, ताकि लोग इसे आसानी से हटा न सकें।
  • स्थानीय पुलिस और ग्राम पंचायत को जर्जर पुलों की जानकारी देने को कहा गया है।
  •  पुल के जर्जर अवस्था की जानकारी देने वाला बोल्ड अक्षरों में लिखा बैनर पुल पर लगाया जाए।  
  • सभी जर्जर पुलों की जगह पर नए पुल बनाने का प्रस्ताव तैयार कर जल्द से जल्द सरकार को दिया जाए।

25 साल पुराने पुलों और इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश
Image Source : INDIATV
25 साल पुराने पुलों और इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश

पुणे पुल हादसे में 4 लोगों की मौत

बता दें कि पुणे जिले के मावल तहसील में इंद्रायणी नदी पर बने पुल के ढहने की घटना के एक दिन बाद सोमवार को जिला प्रशासन ने इस्तेमाल के लिए अनुपयुक्त सभी पुलों को तोड़ने या हटाने का फैसला किया है। मावल पुल हादसे में कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 18 लोग घायल हो गए थे। अधिकारियों ने बताया कि रविवार दोपहर को कुंदमाला इलाके में जो पुल ढह गया, वह 1993 में बना था और इस्तेमाल के लायक नहीं था, लेकिन वहां एकत्र हुए लोगों ने चेतावनी वाले साइनबोर्ड को नजरअंदाज कर दिया और 100 से ज्यादा लोग पुल पर चढ़ गए।

जर्जर पुलों को तोड़ने का फैसला

जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने कहा, "घटना को ध्यान में रखते हुए हमने अब जिले में ऐसे पुलों को हटाने या तोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि बैरिकेड आदि लगाने से उद्देश्य पूरा नहीं होता। आगंतुक, पर्यटक आमतौर पर ध्यान नहीं देते और इन बैरिकेड को दरकिनार कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। हमने जिले में ऐसी संरचनाओं की पहचान की है और अंतिम सर्वेक्षण के बाद इन संरचनाओं को हमेशा के लिए हटा दिया जाएगा।"

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