भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने चंद्रयान मिशन 2 को लेकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इसरो को चांद जैसी मिट्टी बनाने की तकनीक का पेटेंट मिल गया है।
ISRO चीफ के शिवन ने यह भी बताया कि चंद्रमा की सतह पर उतरने के अगले प्रयास चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू हो चुका है और यह प्रोजेक्ट तेजी से चल रहा है
प्रधानमंत्री ने चंद्रयान कार्यक्रम का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने चंद्रयान मिशन की बात करते हुए कहा कि असफलता भी हमें सफलता की शिक्षा देती है।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि तीसरे चंद्रयान मिशन को सरकार की मंजूरी मिल गई है और इससे संबंधित सभी गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं।
आखिर ऐसी क्या तकनीकी खामी आई थी जिस वजह से लैंडर विक्रम इतिहास रचने से चूक गया था? बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के शिवन ने इसके बारे में जानकारी दी
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 को लांच करेगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान पर चंद्रयान-2 से भी कम लागत आएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि हमारे खुद के आर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त विक्रम लैंडर का पता लगा लिया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसरो नासा द्वारा किए गए दावों का खंडन नहीं करेगा।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसरो के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर ट्वीट की है। तस्वीर में नासा ने उस स्पॉट को दिखाया है जहां पर लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश अनुदान की पूरक मांग संबंधी दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘नई परियोजना अर्थात चंद्रयान-3 के व्यय को पूरा करने के लिये 15 करोड़ रुपये अनुदान को मंजूरी दी जाए।’’
इसरो प्रमुख के सिवन ने भारत के उपग्रह ‘कार्टोसैट-3’ के प्रक्षेपण से पहले मंगलवार को तिरुपति स्थित तिरुमाला मंदिर में पूजा-अर्चना की।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा कि भारत अगले साल संभवत: नवंबर में एक बार फिर चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास कर सकता है।
देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘चंद्रयान 2’ एक सफल मिशन था और इससे युवाओं में विज्ञान को लेकर उत्सुकता पैदा हुयी।
इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर को जारी किया है।
इसरो ने तीन सप्ताह से अधिक समय पहले चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के प्रयास के दौरान संपर्क से बाहर हुए ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क कायम करने की कोशिशें अभी छोड़ी नहीं हैं।
नासा ने दो तस्वीरें जारी करते हुए बताया है कि भारत के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर ने चांद पर हार्ड लैंडिंग की थी।
भुवनेश्वर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के.सिवन ने शनिवार को कहा कि देश दिसंबर 2021 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के.सिवन ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 मिशन अपने उद्देश्यों में 98 प्रतिशत सफल रहा है। इसरो हालांकि अभी तक लैंडर 'विक्रम' से संपर्क स्थापित नहीं कर पाया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार को यहां कहा कि चंद्रयान-2 मिशन ने अपना 98 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है जबकि वैज्ञानिक लैंडर ‘विक्रम’ के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
ऐसा कहा गया था कि ‘विक्रम’ की हार्ड लैंडिंग के कारण जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ के ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर ली है, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद इससे अब तक संपर्क नहीं हो पाया।
शनिवार तड़के से चांद पर रात शुरू हो जाएगी और अंधकार छाने के साथ ही ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से सपंर्क की सभी संभावनाएं अब लगभग खत्म हो गई हैं।
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