Thursday, April 25, 2024
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अमेरिकी संसद ने पारित किया हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र कानून, अब ट्रंप पर टिकी नजरें

इसके तहत विदेश मंत्री को साल में कम से कम एक बार यह प्रमाणित करना होगा कि हांगकांग के पास अब भी इतनी स्वायत्तता है कि उसे अमेरिका के साथ व्यापार पर विशेष महत्व दिया जाए।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 20, 2019 12:48 IST
अमेरिकी संसद ने पारित किया हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र कानून, अब ट्रंप पर टिकी नजरें- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिकी संसद ने पारित किया हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र कानून, अब ट्रंप पर टिकी नजरें

वाशिंगटन: हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए अमेरिकी संसद ने सर्वसम्मति से एक कानून पारित किया है जो ट्रंप प्रशासन को इस बात का आकलन करने की शक्तियां प्रदान करेगा कि क्या इस अहम वैश्विक आर्थिक केन्द्र में राजनीतिक अशांति की वजह से इसे अमेरिकी कानून के तहत मिले विशेष दर्जे में बदलाव लाना उचित है अथवा नहीं। हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र अधिनियम 2019 मंगलवार को परित हुआ। 

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इसके तहत विदेश मंत्री को साल में कम से कम एक बार यह प्रमाणित करना होगा कि हांगकांग के पास अब भी इतनी स्वायत्तता है कि उसे अमेरिका के साथ व्यापार पर विशेष महत्व दिया जाए। अमेरिका चीनी मुख्यभूमि के मुकाबले अर्ध स्वायत्त हांगकांग के साथ में अलग प्रकार का बर्ताव करता है। 

हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र अधिनियम 2019 यदि कानून बन जाता है तो शहर के विशेष दर्जे की व्यापक जांच अनिवार्य हो जाएगी। सांसद जिम रिस्च ने कहा, ‘‘अमेरिकी संसद ने हांगकांग की जनता के समर्थन में आज एक कदम उठाया। यह विधेयक पारित होना हांगकांग की स्वायत्तता को कम करने और स्वतंत्रता के उसके मौलिक अधिकारों के हनन के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को जिम्मेदार ठहराने के रास्ते में एक अहम कदम है।’’

इससे पहले चीन ने कहा था कि हांगकांग के संवैधानिक मामलों पर फैसला सुनाने का अधिकार सिर्फ उसे है। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के नकाब पहनने पर लगे प्रतिबंध के फैसले को शहर के उच्च न्यायालय द्वारा पलटने के बाद चीन ने उसकी निंदा करते हुए यह बयान दिया। इस बयान से कई महीनों से हिंसक प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं की चिंता बढ़ गई है कि बीजिंग वित्तीय केंद्र की स्वायत्तता को छीन रहा है। 

नकाब पर प्रतिबंध अक्टूबर महीने में लगाया गया था। यह फैसला लेने के लिए चीन समर्थक नेता ने पांच दशक से भी ज्यादा समय में पहली बार उपनिवेश कालीन एक कानून का इस्तेमाल किया था। ‘नेशनल पीपुल्स कांग्रेस’ के प्रवक्ता जैंग तिवेई ने कहा कि केवल विधायिका को यह तय करने का अधिकार है कि कोई भी कानून मूल कानून-शहर के लघु संविधान- के अनुरूप है या नहीं। जैंग ने कहा, ‘‘किसी भी अन्य संस्थान को इस संबंध में फैसला करने का अधिकार नहीं है।’’

इस बिल पर राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के हस्‍ताक्षर के बाद यह कानून में तब्‍दील हो जाएगा। जहां तक ट्रंप की बात है तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि मानवाधिकार से जुड़े मामलों में वह कम ही अपनी राय व्‍यक्त करते हैं। इसी वजह से ट्रंप ने इस बिल पर अभी तक कोई भी बयान नहीं दिया है। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने इस बिल को जल्‍द ही कानून बनाने को लेकर अमेरिका से अपील तक की है। 

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