Friday, April 19, 2024
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भारत-चीन बैठक: NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच इन अहम मुद्दों पर हुई बात

भारत और चीन ने शनिवार को इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 22, 2019 7:13 IST
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India and China agree to intensify their efforts to achieve reasonable solution to boundary question | Twitter

नई दिल्ली: भारत और चीन ने शनिवार को इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी है। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के सामरिक दृष्टिकोण के जरिए सीमा से जुड़े मुद्दों पर वार्ता करने पर जोर दिया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा से जुड़े मुद्दों का उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए प्रयास को तेज करने का संकल्प लिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत रचनात्मक रही। इस दौरान द्विपक्षीय विकास साझेदारी को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस बात पर आम सहमति बनी कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संवेदनशीलता और सरोकारों का सम्मान करना चाहिए। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों के सामरिक दृष्टिकोण से सीमा मुद्दे के महत्व को रेखांकित किया गया। मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमा मुद्दों का शीघ्र निस्तारण दोनों देशों के मौलिक हितों के लिए आवश्यक है। वांग, वार्ता के लिए शुक्रवार की रात को नई दिल्ली पहुंचे थे।


अधिकारियों ने कहा कि वार्ता के दौरान सीमा से जुडे़ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई और दोनों पक्षों ने लगभग 3.5 हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच इसी साल अक्टूबर में मलप्पुरम में हुई दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद चीन और भारत के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता थी। डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए अपने- अपने देशों से नामित विशेष प्रतिनिधि हैं।

प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णय के अनुरूप सीमा पर और अधिक विश्वास बहाली के उपाय के लिए इस वार्ता में दोनों पक्ष एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसका विरोध करता आ रहा है। दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सीमा मुद्दे के अंतिम समाधान के लंबित रहने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना आवश्यक है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने वांग के हवाले से जारी बयान में कहा है, ‘भारत और चीन को दोनों देशों के नेताओं के महत्वपूर्ण निर्देशानुसार सीमा वार्ता को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही अंतिम समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत के रोडमैप की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए जो उचित और दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार्य हो।’ वांग ने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की वार्षिक बैठक दोनों देशों के लिए सीमा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मुख्य चैनल के रूप में कार्य करती है और यह दोनों पक्षों के लिए रणनीतिक संचार का एक महत्वपूर्ण मंच भी है।

उन्होंने बयान में कहा कि दोनों देशों को संचार एवं समन्वय को और मजबूत करना चाहिए तथा संयुक्त रूप से बहुपक्षवाद, निष्पक्षता और न्याय की रक्षा करनी चाहिए। चीन की सरकारी समाचार समिति शिन्हुआ ने बयान के हवाले से खबर दी है कि दोनों देश अगली भारत-चीन सीमा वार्ता अगले साल चीन में करने पर भी सहमत हुए। (भाषा)

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