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Sankashti Chaturthi 2022: 19 मई को है संकष्टी चतुर्थी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Sankashti Chaturthi 2022: जानिए संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Edited by: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated : May 18, 2022 13:46 IST
Sankashti Chaturthi 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Sankashti Chaturthi 2022

Highlights

  • इस बार 19 मई को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा।
  • इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है।

Sankashti Chaturthi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी दिन को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। बस फर्क केवल इतना है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है,और यह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है, तो इसलिए कल (19 मई) संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है।

अत: कल संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के उपलक्ष्य में भगवान श्री गणेश की उपासना बड़ी ही फलदायी होगी। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का अर्थ होता है- संकटों को हरने वाली। भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं।  इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है। जानिए संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त

  • चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 18 मई को सुबह 11 बजकर 36 मिनट से शुरू
  • चतुर्थी तिथि समाप्त - 19 मई को शाम 08 बजकर 25 मिनट तक
  • चंद्रोदय का समय- रात 9 बजकर 19 मिनट पर

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। 
  • उसके गणपति का ध्यान करें। 
  • फिर एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और इसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
  • उसके बाद गंगा जल छिड़कर पूरे स्थान को पवित्र करें। 
  • अब गणेश जी को फूल की मदद से जल चढ़ाएं।
  • अब रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
  • लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाएं। 
  • इसके बाद नारियल और भोग में मोदक चढ़ाएं। 
  • गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  
  • सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। 

इसके बाद इस मंत्र का जाप करें - 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।

अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें।

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