Tuesday, May 07, 2024
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भारत का चुनाव आयोग दुनिया में बना 'भरोसे का ब्रांड'! उज्बेकिस्तान ने जनमत संग्रह के लिए बुलाया

भारतीय निर्वाचन आयोग के काम से भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देश भी प्रभावित हैं। यही वजह है कि उज्बेकिस्तान ने अपने देश के संविधान में कई संशोधनों को लेकर 30 अप्रैल को होने वाले ‘ऐतिहासिक’ जनमत संग्रह को देखने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को आमंत्रित किया है।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: April 12, 2023 14:25 IST
उज्बेकिस्तान ने ‘ऐतिहासिक’ जनमत संग्रह को देखने के लिए ECI को बुलाया- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO उज्बेकिस्तान ने ‘ऐतिहासिक’ जनमत संग्रह को देखने के लिए ECI को बुलाया

भारतीय निर्वाचन आयोग के काम से भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देश भी प्रभावित हैं। यही वजह है कि उज्बेकिस्तान ने अपने देश के संविधान में कई संशोधनों को लेकर 30 अप्रैल को होने वाले ‘ऐतिहासिक’ जनमत संग्रह को देखने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को आमंत्रित किया है। भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशोद अखातोव ने कहा कि उनके देश के संविधान में समग्र और व्यापक बदलाव लाने के लिए भारत सहित 190 देशों के संविधान का अध्ययन किया गया है। संवैधानिक सुधार पर मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शौकत मर्जियोयेव के तहत पिछले कुछ सालों में उनके देश में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं और संविधान में बदलाव इसी सम्पूर्ण कवायद का हिस्सा है। 

30 अप्रैल को होने वाले जनमत संग्रह को देखेगा ECI

अखातोव ने कहा, ‘‘देश पिछले कुछ सालों में ऐतिहासिक बदलाव से गुजर रहा है। भारत सहित 190 देशों के संविधान और विभिन्न कानूनों, नियमों का अध्ययन करने के बााद मसौदा संविधान तैयार किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान समग्र और व्यापक होगा जो उज्बेकिस्तान को विकास, वृद्धि और समृद्धि के नये मार्ग पर ले जायेगा।’’ राजदूत ने कहा कि जनमत संग्रह उज्बेकिस्तान के वर्तमान संविधान में दो तिहाई बदलाव से संबंधित है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संविधान में सुधार को लेकर 30 अप्रैल को होने वाले ऐतिहासिक जनमत संग्रह को देखने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को आमंत्रित किया है। 

संवैधानिक सुधार के लिए जनता से आए 2 लाख से ज्यादा प्रस्ताव
गौरतलब है कि भारत और उज्बेकिस्तान के बीच रिश्ते पिछले कुछ सालों से प्रगति की ओर हैं। दोनों देशों ने कारोबार, निवेश, ऊर्जा, लोगों से लोगों के बीच आदान प्रदान सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार देने में रूचि दिखायी है। राष्ट्रपति मर्जियोयेव ने नवंबर 2021 में अपने उद्घाटन संबोधन में संवैधानिक सुधार की जरूरत बतायी थी और स्पष्ट किया था कि यह प्रस्ताव देश के लोगों की ओर से आया है। वहीं, राजदूत ने कहा कि संवैधानिक सुधार को लेकर चर्चा के दौरान आम जनता से 2,22,000 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए। उज्बेकिस्तान में न्यू मीडिया एजुकेशन सेंटर के सहायक प्रोफेसर बेरूनियेव एलिमोव ने कहा कि संविधान से संबंधित कुछ नये प्रावधान नागरिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोगों के सम्मान को बढ़ावा देने और स्वतंत्रा सुनिश्चित करने से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में गरीबी कम करने, रोजगार प्रदान करने और सामाजिक मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने को लेकर कई तरह की नयी जवाबदेही होगी। 

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