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पिछले 4 वर्षों में दिल्ली NIOS 10वीं के 70% स्टूडेंट्स हुए फेल, RTI में हुआ खुलासा; पढ़ें डिटेल्स

‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत पिछले चार साल में 10वीं कक्षा की परीक्षा देने वाले औसत 70 फीसदी बच्चे फेल हुए हैं। 2024 में ‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत 10वीं में 7794 बच्चों का रजिस्ट्रेशन कराया गया था।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published : Oct 21, 2025 12:37 pm IST, Updated : Oct 21, 2025 12:37 pm IST
सांकेतिक फोटो- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) सांकेतिक फोटो

दिल्ली सरकार द्वारा 2017 में शुरू किए गए ‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत पिछले चार साल में 10वीं कक्षा की परीक्षा देने वाले औसत 70 फीसदी बच्चे फेल हुए हैं। RTI के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने यह जानकारी दी। दिल्ली सरकार ने 9वीं व 10वीं कक्षा में फेल होने वाले स्टूडेंट्स और स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर को कम करने के लिए यह योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत नौवीं व 10वीं कक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों और पढ़ाई में कमजोर बच्चों का पंजीकरण राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) में कराया जाता है और स्कूल में ही अलग से कक्षाएं होती हैं। 

शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 2024 में ‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत 10वीं में 7794 बच्चों का पंजीकरण कराया गया था, जिनमें से 37 फीसदी यानी 2842 बच्चे ही परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। निदेशालय ने बताया कि 2017 में 8563, 2018 में 18,344, 2019 में 18,624, 2020 में 15,061, 2021 में 11,322, 2022 में 10,598 और 2023 में 29,436 बच्चों का पंजीकरण ‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत कराया गया था। 

केवल 30 फीसदी छात्र-छात्राएं ही परीक्षा में हुए पास

RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, 2017 में 3748, 2018 में 12,096, 2019 में 17,737, 2020 में 14‍,995, 2021 में 2760, 2022 में 3480 और 2023 में 7658 विद्यार्थी ही परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। पिछले चार साल के आंकड़ों के हिसाब से ‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत पढ़ने वाले सिर्फ 30 फीसदी छात्र-छात्राएं ही परीक्षा पास कर सके और 70 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गए। इस योजना के तहत विद्यार्थियों के पंजीकरण की जिम्मेदारी संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य की होती है। 

बच्चों के फेल होने के पीछे की वजह?

दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "बच्चों के फेल होने के पीछे मुख्यत: दो कारण हैं। पहला है समन्वय।" उन्होंने बताया कि ‘NIOS प्रोजेक्ट’ से जु़ड़े शिक्षक पंजीकृत बच्चों के परिजनों से संपर्क ही नहीं करते और न ही उन्हें बताते हैं कि बच्चा स्कूल आ रहा है या नहीं।" उन्होंने दूसरा कारण बताते हुए कहा कि ‘एनआईओएस प्रोजेक्ट’से जुड़े बच्चों को स्कूल में वह वातावरण नहीं मिला पाता जो दूसरे बच्चों का मिलता है। उनका आरोप था कि शिक्षक कक्षाओं में नहीं जाते।” 

उन्होंने बताया कि इन सबके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानाचार्य अपने स्कूल की 10वीं कक्षा का परिणाम सुधारने के मकसद से पढ़ाई में कमजोर बच्चों का पंजीकरण NIOS में करा देते हैं, जिसकी वजह से ये बच्चे दूसरे विद्यार्थियों से पढ़ाई में अलग हो जाते हैं। 

परीक्षा शुल्क

‘NIOS प्रोजेक्ट’ के तहत पंजीकरण कराने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रति विषय 500 रुपये का परीक्षा शुल्क निर्धारित किया गया है और अगर किसी विषय में प्रैक्टिकल शामिल है जैसे कि पेंटिंग, होम साइंस या कंप्यूटर साइंस तो प्रत्येक प्रैक्टिकल विषय के लिए 120 रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। इसके अलावा पांच विषयों के लिए पंजीकरण शुल्क 500 रुपये निर्धारित है और अतिरिक्त विषय के लिए 200 रुपये प्रति विषय शुल्क देना होता है तथा क्रेडिट ट्रांसफर (टीओसी) के लिए अलग से 230 रुपये प्रति विषय शुल्क लिया जाता है। (इनपुट पीटीआई)

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