मुंबई: समेत पूरे महाराष्ट्र में महा नगरपालिकाओं के चुनाव घोषित होते ही सियासी माहौल गरमा गया है। सबसे ज्यादा चुनावी हलचल मुंबई में देखने को मिल रही है, जहां घोषणा के तुरंत बाद ही राजनीति सड़कों पर उतर आई है। शहर में पोस्टर और बैनर वॉर छिड़ गया है। मुंबई के वर्ली समेत कुछ इलाकों में लगाए गए पोस्टरों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। कहीं पोस्टर में परिवार के बहकावे नहीं आने की अपील की गई है तो कहीं मराठी अस्मिता की भावनात्मक लड़ाई का संदेश दिया गया है।
इन पोस्टरों में बिना किसी पार्टी का नाम लिए अपरोक्ष रूप से उद्धव ठाकरे गुट पर हमला बोला गया है। पोस्टर में लिखा है:
“जो हिंदुत्व का नहीं हुआ, वह मराठी मानुस का क्या होगा?”
“मुंबईकर जागो, एक ही परिवार के बहकावे में मत आओ।”

शहर के कई इलाकों में ये पोस्टर नजर आ रहे हैं। इन नारों के जरिए उद्धव ठाकरे गुट को निशाने पर लिया गया है। हालांकि, पोस्टर और बैनर किसने लगाए हैं, इसका कहीं कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। बावजूद इसके, राजनीतिक गलियारों में आशंका जताई जा रही है कि यह बैनर शिंदे गुट की शिवसेना से जुड़े हो सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर शिंदे की शिवसेना पर निशाना साधते हुए भी पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में मराठी माणुस होश में आओ और अस्तित्व की अंतिम लड़ाई जैसे नारे लिखे हैं। एक पोस्टर में लिखा है
मराठी माणुस होश में आओ, जाग जाओ।
तुम्हारी मुंबई तुमसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
इस बार मराठी के लिए एकजुट होना ही होगा।
पैर के नीचे की ज़मीन एक बार खिसक गई,
तो वह दोबारा नहीं मिलती।
मराठी माणुस, मुंबई को बचाओ।
ये तुम्हारे अस्तित्व की अंतिम लड़ाई है।

आशंका जताई जा रही है कि उद्धव ठाकरे गुट से जुड़े किसी कार्यकर्ता की ओर से यह पोस्टर लगाए गए हों। जैसे-जैसे अलग-अलग इलाकों से इसकी जानकारी सामने आ रही है, आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए स्थानीय पुलिस और चुनाव आयोग के अधिकारी पोस्टरों को हटाने में जुट गए हैं। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि पोस्टरों के पीछे कौन है और क्या यह चुनावी नियमों का उल्लंघन है।बीएमसी चुनाव से पहले इस तरह की बैनरबाज़ी को मुंबई की राजनीति में बढ़ते टकराव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी बयानबाज़ी और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।



