Wednesday, December 11, 2024
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'अजित पवार के व्हिप को सिर्फ इन दो बिंदुओं पर मिल सकती है वैधता'

महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अचानक मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस की सरकार को बचाने के लिए भाजपा हरसंभव कोशिशों में जुटी है। एक तरफ कानूनी दांव-पेच पर पार्टी विचार करने में जुटी है, दूसरी तरफ नितिन गडकरी, पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की टीम को विधायकों से संपर्क के लिए मोर्चे पर लगाया गया है।

Reported by: IANS
Published : November 26, 2019 8:59 IST
'अजित पवार के व्हिप को सिर्फ इन दो बिंदुओं पर मिल सकती है वैधता'- India TV Hindi
'अजित पवार के व्हिप को सिर्फ इन दो बिंदुओं पर मिल सकती है वैधता'

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अचानक मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस की सरकार को बचाने के लिए भाजपा हरसंभव कोशिशों में जुटी है। एक तरफ कानूनी दांव-पेच पर पार्टी विचार करने में जुटी है, दूसरी तरफ नितिन गडकरी, पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों से लेकर पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव और सांसदों की टीम को विधायकों से संपर्क के लिए मोर्चे पर लगाया गया है। इस बीच कानूनी विशेषज्ञ का कहना है कि आगे चलकर फ्लोर टेस्ट के दौरान भी विवाद पर मामला सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अजित पवार के व्हिप को सिर्फ दो बिंदुओं पर कानूनी वैधता हासिल हो सकती है।

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स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण

संवैधानिक मामलों के जानकार व सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने कहा, "फ्लोर टेस्ट के दौरान यदि अजित पवार और जयंत पाटिल (नए विधायक दल नेता) दोनों ने व्हिप जारी कर दिया तो बहुमत की संख्या में विवाद के साथ दलबदल का मामला भी बनेगा। उस स्थिति में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। बहुमत, स्पीकर का चुनाव और दलबदल जैसे मामलों पर विवाद की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट में अगले राउंड में फिर से मामला आ सकता है।"

व्हिप को दो बिंदुओं पर वैधता मिल सकती है
विराग गुप्ता ने आगे कहा, "अजित पवार के व्हिप को दो बिंदुओं पर वैधता मिल सकती है। मसलन, शरद पवार ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटाया है मगर पार्टी से नहीं हटाया है। दूसरी तरफ तीन दलों द्वारा जिस महाविकास अघाडी गठबंधन की सरकार बनाने की बात की जा रही है, उसके नेता के बारे में औपचारिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट को नहीं बताया गया।"

53 अन्य विधायकों के वोट हो जाएंगे निरस्त?
एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं। अगर स्पीकर ने अजित पवार का व्हिप माना तो फिर उनके फैसले के खिलाफ जाने वाले 53 अन्य विधायकों के वोट निरस्त हो जाएंगे। जिससे बहुमत के लिए आंकड़ा 118 रह जाएगा। इतने विधायकों का बंदोबस्त फिलहाल भाजपा के पास है। भाजपा के पास अपने 105 और 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया गया है। देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पिछले दिनों हुई बैठक में 118 विधायक मौजूद रहे हैं।

भाजपा के नेताओं का मानना है कि शपथ से पहले अजित पवार ने विधायक दल के नेता की हैसियत से समर्थन पत्र दिया था, इस नाते कानूनी पेच नहीं फंसता।

विधायक दल के नेता की हैसियत से अजित पवार ने समर्थन दिए
महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई, पर क्या स्थिर रह पाएगी, इस सवाल पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, "अजित पवार विधायक दल के नेता की हैसियत से भाजपा को समर्थन दिए, जिससे भाजपा के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, कहीं कोई रोड़ा नहीं है। सदन में पार्टी बहुमत साबित करके रहेगी।"

विधायकों से इस्तीफे दिलाने की भी रणनीति
कर्नाटक में जिस तरह से 'ऑपरेशन कमल' चलाकर भाजपा ने विरोधी दलों के विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बहुमत के आंकड़े को कम कर पूर्व में सरकार बनाई, उस रणनीति पर भी महाराष्ट्र में भाजपा काम कर सकती है। सूत्र बता रहे हैं कि दलबदल कानून से बचने के लिए किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का टूटना जरूरी है। ऐसे में तीनों दलों के कई विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बीजेपी बहुमत के आंकड़े को इतना करीब लाना चाहेगी, जहां तक वह पहुंच सके। हालांकि भाजपा के लिए यह बहुत आसान नहीं है।

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