शेयरों के अलावा एफपीआई ने इस महीने में 22 मार्च तक ऋण या बॉन्ड बाजार में 13,223 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
एफपीआई अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बदलाव की वजह से अपनी रणनीति बदल रहे हैं। चूंकि अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड फिर बढ़ गया है, ऐसे में आगामी दिनों में एफपीआई फिर बिकवाली कर सकते हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि तीन कारणों से एफपीआई भारतीय बाजार में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें बाजार की मजबूती और अमेरिकी में बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के अलावा जीडीपी की वृद्धि दर के उम्मीद से बेहतर आंकड़े शामिल हैं।
एफपीआई की बिकवाली का रुझान तब तक जारी रहने की संभावना है जब तक अमेरिकी बांड पर ब्याज ऊंची बनी रहेगी। इस साल की शुरुआत में शुरू हुई डेट में एफपीआई की निरंतर खरीदारी भी जारी है।
इंडियन बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ने की वजह जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाना और व्यापक रूप से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत परिदृश्य है।
अमेरिका में बढ़ती बांड पैदावार चिंता का विषय है और इससे नकदी बाजार में बिकवाली का हालिया दौर शुरू हो गया है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी फेड की धुरी से शुरू हुई, जिसमें 10 साल की बॉन्ड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं। उन्होंने कहा कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है।
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि विदेशी निवेशकों का सबसे बड़ा निवेश बैंकिंग स्टॉक्स में है। इसलिए अगर वो बिकवाली करते हैं तो बैंकिंग काउंटर में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। इसलिए छोटे निवेशक बैंकिंग स्टॉक्स में संभलकर निवेश करें। अगर संभव हो तो अभी इस काउंटर से दूरी बनाकर ही रहें।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
विदेशी निवेशक करीब 43,000 करोड़ रुपये का निवेश दिसंबर के पहले दो सप्ताह में किया है। माना जा रहा है कि एफपीआई प्रवाह के लिए यह सबसे अच्छा साल हो सकता है। एफपीआई ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये डाले थे।
इसके पहले अक्टूबर में एफपीआई ने 9,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त और सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 39,300 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि बॉन्ड को लेकर नवंबर में ऋण बाजार ने 14,860 करोड़ रुपये आकर्षित किए। यह अक्टूबर, 2017 के बाद से यह सबसे अधिक निवेश था, जब 16,063 करोड़ रुपये आए थे। जेपी मॉर्गन के बाजार सरकारी बॉन्ड सूचकांक में भारतीय प्रतिभूतियों को शामिल करने से घरेलू बॉन्ड बाजारों में विदेशी कोषों की भागीदारी बढ़ी है।
सितंबर 2023 तिमाही में एफपीआई ने सेकेंडरी मार्केट में करीब 2.4 अरब डॉलर की इक्विटी खरीदी। एफपीआई ने वित्तीय, विद्युत उपयोगिताओं और आईटी सेवाओं के स्टॉक खरीदे और पूंजीगत सामान और परिवहन स्टॉक बेचे। सितंबर तिमाही में डीआईआई ने लगभग 5.1 बिलियन डॉलर की इक्विटी खरीदी।
बॉन्ड के अलावा विदेशी निवेशकों ने समीक्षाधीन अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 378 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, अक्टूबर और सितंबर महीने में एफपीआई ने निकासी की थी।
अमेरिका में मुद्रास्फीति में उम्मीद से बेहतर गिरावट ने बाजार को यह मानने का विश्वास दिला दिया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी कर दी है। इसके परिणाम स्वरूप अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी से गिरावट आई है और 10-वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल अक्टूबर मध्य में पांच प्रतिशत से घटकर अब 4.40 प्रतिशत हो गया।
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
क्रेविंग अल्फा के प्रबंधक-स्मॉलकेस और प्रमुख भागीदार मयंक मेहरा ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा। काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा।’’
एक ओर जहां विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस पैसा लगा रहे हैं। इस दौरान घरेलू निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 13,748 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है।
जुलाई में एफपीआई का निवेश 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये रहा था।
पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई शेयर बाजारों में 1.36 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं।
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